श्रेय तो जाता ही है अनिता भदेल को

a bhadel 5प्रदेश के महिला व बाल विकास मंत्रालय में पीआरओ के पद पर जो भी कारिंदा बैठा है, वह पक्का पत्रकार प्रतीत होता है। उसने प्रदेश में बढ़े बालिका शिशु लिंगानुपात और महिला सशक्तिकरण के लिए राज्य की महिला व बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों पुरस्कृत होने की खबर को ठीक वैसा ही लिखा है, जैसी वह है। वरना सरकारी पत्रकार अमूमन अपने आका को खुश रखने के लिए खबर में आभूषणात्मक प्रयोग करते ही हैं। खबर लिखते वक्त पत्रकारिता के मापदंडों का पूरा ख्याल रखा है। कहीं भी इधर उधर नहीं हटा। खबर के मुख्य शीर्षक में श्रीमती भदेल का जिक्र तक नहीं है। उसमें लिखा है कि राजस्थान को मिला नारी शक्ति पुरस्कार। उप शीर्षक में जरूर खुलासा करते हुए लिखा है कि अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने किया पुरस्कार ग्रहण। विस्तार से लिखी खबर में बताया है कि राज्य की महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल और विभाग के सचिव श्री कुलदीप रांका राष्ट्रपति भवन में यह पुरस्कार ग्रहण किया।
असल में यह पुरस्कार राजस्थान हो ही मिला है, जिसमें जितना सरकार और उसके कारिदों को श्रेय जाता है, उतना ही राज्य की जनता को। इस किस्म के पुरस्कार में विभागीय उपलब्धि के साथ साथ जनता की भी भागीदारी होती है। कदाचित स्थानीय भाजपाइयों ने इसे इस रूप में लिया हो कि यह पुरस्कार श्रीमती भदेल को निजी तौर पर मिला है। वस्तुस्थिति ये है कि अगर कोई अन्य भी इस पद पर होता तो वही पुरस्कार लेने जाता। विभाग के सचिव पद पर भी कोई और होता तो वह जाता। बावजूद इसके चूंकि श्रीमती भदेल इस मंत्रालय को मौजूदा सरकार के गठन के समय से ही संभाल रही हैं, अत: इसकी उपलब्धि का श्रेय उनको ही जाता है। किसी भी टीम की उपलब्धि का श्रेय टीम लीडर को जाना स्वाभाविक है।

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