राजस्थान को मिला ‘नारी शक्ति पुरस्कार‘

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने किया पुरस्कार ग्रहण।
zaजयपुर, 08 मार्च। प्रदेश में बढ़े बालिका शिशु लिंगानुपात और महिला सशक्तिकरण के चलते नई दिल्ली में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने राज्य को ‘नारी शक्ति‘ पुरस्कार से सम्मानित किया। राज्य की महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल और विभाग के सचिव श्री कुलदीप रांका राष्ट्रपति भवन में यह पुरस्कार ग्रहण किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ‘ के तहत देश भर में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की।
राष्ट्रपति भवन में पुरस्कार ग्रहण करने के बाद श्रीमती भदेल ने बताया कि सरकार राज्य में घटते बालिका शिशु लिंगानुपात को लेकर काफी चिंतित थी। इससे निपटने के लिए सरकार ने प्रदेश से लेकर जिला स्तर पर अनेक प्रभावी उपाय किए। महिला एवं बाल विकास विभाग ने प्रदेश के ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ‘ योजना के तहत राज्य के 14 जिलों में विशेष अभियान चलाया। इसी का नतीजा था कि एक साल में ही यह अनुपात बढ़कर 939 हो गया। उन्होंने कहा कि सरकार बालिका शिशु लिंगानुपात के प्रति पूरी तरह गंभीर है और आगे भी विभाग इस तरह के नवाचार करता रहेगा।
महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव श्री कुलदीप रांका ने बताया कि राजस्थान में ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ‘ को एक अभियान के रूप में लिया जा रहा है। लिंग निर्धारण प्रक्रिया के विरूद्ध शिकायत करने के लिए हमने टॉल फ्री नंबर 104 का भी जमकर प्रचार किया है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं के लिए ‘अन्न-प्राशन’ तथा ‘गोद-भराई’ जैसे कार्यक्रम भी राजस्थान के सभी जिलों के आंगनबाड़ी केंद्रों में नियमित रूप से आयोजित किए जा रहे हैं। इन प्रयासों से न केवल जेंडर आधारित चयन उन्मूलन पर रोक लगी है बल्कि इससे बालिका की उत्तर जीविता तथा संरक्षण सुनिश्चित हुआ है। पुरस्कार स्वरूप राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने श्रीमती भदेल को एक लाख रूपए की राशि और प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया है।
उल्लेखनीय है कि ‘बेटी बचाओ-बेटी पढाओ‘ की मूल संकल्पना भारत सरकार द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग के तत्वाधान में पाली जिले में संचालित मिशन पूर्ण शक्ति से ली गई है। महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में नवाचारों को अपनाने वाला राजस्थान अग्रणी राज्य है। महिलाओं को हिंसा एवं उत्पीडन से राहत दिलाने के लिए निदेशालय महिला अधिकारिता के तत्वाधान में ‘अपराजिता‘ केंद्र का संचालन भी किया जा रहा है। इसके आधार पर ही भारत सरकार ने सभी राज्यों में ‘सखी‘ के नाम से विभिन्न केंद्र शुरू किए जा रहे हैं।

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