कोन होगा भा ज पा प्रदेशाध्यक्ष

*केकड़ी* ( *अजमेर* )
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष पद से अशोक परनामी को इस्तीफा दिये पूरा डेढ़ माह हो गया लेकिन किसी एक नेता के नाम पर आम सहमति नही बन पाने के कारण शीर्ष नेतृत्व तय नहीं कर पा रहा था कि किसे इस पद की जिम्मेदारी सौंपी जाये। लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस पद के लिए शीर्ष नेतृत्व केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के नाम पर ही अंतिम मोहर लगाना चाहता है। जिसके चलते ये माना जा रहा है कि शीघ्र ही किसी भी समय उनके नाम की घोषणा की जा सकती है।
इतिहास में यह पहली बार है कि किसी राष्ट्रीय पार्टी को अपना प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त करने में इतना समय लग रहा है। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पहले से ही केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को प्रदेशाध्यक्ष पद पर नियुक्त करने का मानस बना चुका था। लेकिन ऐनवक्त पर राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गजेंद्र सिंह शेखावत के नाम पर सहमत नहीं हुई। वो अपने मंत्रियो व विधायकों के जरिये आलाकमान के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराने दिल्ली पहुंच गई, जिसके चलते प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर विलम्ब हुआ। पहले तो ये माना जा रहा था कि कर्नाटक चुनाव के बाद शीघ्र ही राजस्थान में प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति कर दी जायेगी। मगर वहां भी चुनाव हुवे कई दिन बीत गए उसके बाद भी किसी की नियुक्ति नही होना शीर्ष नेतृत्व की कमजोरी माने जाने लगा। इधर वसुंधरा राजे अपने पसंदीदा नेता को प्रदेशाध्यक्ष बनाना चाहती है। राष्ट्रीय नेतृत्व इस बात से डर रहा है कि बिना वसुंधरा की सहमति के अगर प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त किया जाता है तो भाजपा में धड़ेबाजी का खतरा हो सकता है। वसुंधरा राजे अपने पसंदीदा नेता अशोक परनामी को पुनः प्रदेश भाजपा का नेतृत्व सौंपने या फिर डॉ अरुण चतुर्वेदी, राज्य के वरिष्ठ मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़, मंत्री श्रीचंद कृपलानी आदि को प्रदेशाध्यक्ष बनाने को लेकर आमादा है। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल व सांसद ओम बिड़ला का भी नाम प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ में शामिल हुआ लेकिन इन नामो पर भी सहमति नहीं बन पाई। प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर उधर अमित शाह और इधर वसुंधरा राजे दोनो अड़े हुवे है। अमित शाह व नरेंद्र मोदी राजस्थान की कमान ऐसे नेता को सौंपना चाहते है जो सबको साथ लेकर चले और संगठन को मजबूत कर सके वही जातिगत समीकरणों पर भी फिट बैठता हो। आरएसएस के प्रमुख का मानना है किसी अनुभवी युवा नेता को राजस्थान में भाजपा की कमान सौंपी जानी चाहिए , पार्टी इस पर भी गम्भीरता से विचार करते हुए किसी ऐसे अनुभवी युवा नेता की तलाश कर रही है जो दमदार हो साथ ही उसके नाम पर कोई विरोध न हो लेकिन ऐसा कोई चेहरा अब तक सामने नहीं आया है।
राजस्थान में फिलहाल राजपूत व रावणा राजपूत समाज,जाट, गुर्जर समाज सहित दलित वर्ग भाजपा के पक्ष में दिखाई नही दे रहा। इन सभी जातियों को भाजपा के पक्ष में पुनः जोड़ने की कवायद के चलते शीर्ष नेतृत्व जल्दबाज़ी में कोई फैसला नही ले पा रहा है।
अब स्थिति ये है कि अगर शीर्ष नेतृत्व वसुंधरा राजे की बात मानकर उनके पसंदीदा नेता को प्रदेशाध्यक्ष बनाता है तो फिर अन्य राज्यों में भी उसे ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। इधर वसुंधरा राजे के दिमाग मे ये चल रहा कि अगर उनकी पसन्द का नेता प्रदेशाध्यक्ष नही बनता तो अगले विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में उनकी नही चल पाएगी और ऐसे में अगले मुख्यमंत्री के पद के लिए उनकी दावेदारी कमजोर हो सकती है।
प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए अमित शाह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व राजस्थान के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर व केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सहित अन्य नेताओं से भी चर्चा कर चुके है। फिलहाल सबसे बेहतर गजेंद्र सिंह शेखावत के अलावा कोई और नाम नही सूझ पाया है। शीर्ष नेतृत्व को शेखावत ही सबसे मजबूत दिखाई दे रहे हैं जो उनके हिसाब से सभी समीकरणों पर फिट बैठते हैं। ऐसे में ये कयास है कि शीघ्र ही गजेंद्र सिंह शेखावत की प्रदेशाध्यक्ष पद पर ताजपोशी की जा सकती है !

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