सरकार पर छाये हैं संकट के बादल

कानाफूसी है कि एफडीआई को लेकर आगामी शीतकालीन सत्र में सरकार पर गंभीर संकट आ सकता है। लिजाहा कांग्रेस के मैनेजरों ने सरकार को बचाने के लिए कवायद शुरू कर दी है। पिछले दिनों सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह व बसपा सुप्रीमो मायवती को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से दिए गए भोज को इसी कवायद की एक कडी माना जा रहा है। संसद का शीतकालीन सत्र 22 नवंबर से शुरू हो रहा है और शीतकालीन सत्र के हंगामेदार रहने के आसार अभी से दिख रहे हैं। भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने बताया कि भाजपा खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के सरकार के फैसले का विरोध जारी रखेगी। भापजा प्रवक्ता रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि उनकी कोशिश होगी की इस मुद्दे पर सरकार को पूरी तरह से धराशाही कर दिया जाए। उन्होंने सरकार के वादे को याद दिलाते हुए कहा कि सरकार ने संसद में वादा किया था कि सभी दलों से चर्चा के बिना एफडीआई को पास नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही सीपीएम ने संसद को दोनों सदनों में खुदरा में एफडीआई पर चर्चा के लिए नोटिस दिया। इस नियम के तहत इस मुद्दे पर वोटिंग करना पड़ेगा। सीपीएम नेता बासुदेब आचार्या ने कहा था कि शीतकालीन सत्र में एफडीआई का विरोध करना उनकी पार्टी की पहली प्राथमिकता है। इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस एफडीआई को लेकर सरकार पर पहले ही भड़की हुई है। वहीं कांग्रेस की घटक दल डीएमके ने अभी एफडीआई पर अपना रुख साफ नहीं किया है। डीएम के प्रमुक एम करुणानिधि ने कहा है कि उनकी पार्टी का फैसला अभी रहस्य है, लेकिन फैसला व्यापारियों औप विक्रेताओं के हितों को सुनिश्चित करना ही होगा। डीएमके के पास 18 सांसद है और अगर वोटिंग की बात आती है तो कांग्रेस को डीएम के जरूरत पड़ेगी।

पिछले हफ्ते ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उत्तर प्रदेश की राजनीति के दो दिग्गजों से मुलाकात की थी। मनमोहन सिंह ने मायावती के लंच तो वहीं सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के साथ रात का भोजन किया था। यह दोनों ही दल और उनका समर्थन कांग्रेस सरकार के लिए काफी मायने रखता है। लेकिन काग्रेस को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी भी एफडीआई के खिलाफ है और इसके लिए उन्होंने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना भी दिया था। बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी एक रैली के दौरान इस बात के संकेत दिए थे कि एफडीआई के समर्थन में नहीं है।

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