दिल बैरागी , दिल बैरागी
दिल बैरागी ,दिल बैरागी … २
जिस दिन से तू छोड़ गया है
अरमान सारे तोड़ गया है
ढूडे नदिया ढूंढे किनारा
तू ही मंजिल तू ही सहारा
हसरत रात भर जागी
हसरत रात भर जागी
दिल बैरागी, दिल बैरागी
दिल बैरागी, दिल बैरागी … २
इस दर भटका ,उस दर भटका
कौन है मधुकर इस जहाँ में किसका
कब से खड़ा हूँ जिद पे अड़ा हूँ
तेरे लिए इस राह पड़ा हूँ
प्रीत है तुझ से लागी
दिल बैरागी ,दिल बैरागी
दिल बैरागी ,दिल बैरागी … २
किस से कहूँ मैं, किसको सुनाऊ
ज़ख्म दिल के मैं किसको दिखाऊ
आते है और चले जाते है
अपने पराये कतराते है
दामन मेरा दागी
दिल बैरागी ,दिल बैरागी
दिल बैरागी ,दिल बैरागी … २
-नरेश मधुकर
प्रेम ओर बेराग कि बड़ी सुंदर अभिव्यक्ति कि है अपने ,आपकी कविताओ में अक्सर विरह ओर प्रेम के नए नए रंग दिखाई दिए हैं ! इश्वर आपकी लेखनी को सदा यूँ ही सलामत रखे ताकि लोगो को आपकी भावनाओ कि अभिव्यक्ति का आभास होता रहे शुभकामनाये !