महेन्द्र सिंह रलावता हुए और मजबूत

आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के नेतृत्व में गठित समन्वय समिति में मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भी शामिल किए जाने से जाहिर तौर पर उनके बारे में उठाए जाने वाले अनेकानेक सवालों पर विराम लग गया है, वहीं अजमेर की राजनीति पर उसका असर ये हुआ है कि अब शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता और मजबूत हो गए हैं।
ज्ञातव्य है कि दिग्विजय सिंह की आए दिन की बयानबाजी के कारण वे खुद तो विरोधियों के निशाने पर रहते ही हैं, कई बार कांग्रेस पार्टी भी परेशानी में पड़ जाती है। ऐसे में कांग्रेस के अधिकृत प्रवक्ता यह कह कर पिंड छुड़वाते हैं कि ये उनके निजी विचार हो सकते हैं। इस प्रकार के विवाद की वजह से कई बार उनके बारे में आकलन ये किया जाता रहा है कि उन्हें केवल विवादित बयान देने की छूट दी हुई है, जबकि हाईकमान के सामने उनकी कोई खास अहमियत नहीं है। हाल ही उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव की दशा-दिशा तय करने वाली समन्वय समिति में शामिल किए जाने से यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया है कि वे पहले से भी अधिक महत्वपूर्ण भूमिका में आ गए हैं। जाहिर सी बात है कि ऐसे में उनके खासमखास अजमेर शहर कांग्रेस अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता का पाया भी और मजबूत हो गया है। संभव है वे इस बार विधानसभा चुनाव में और दमदार तरीके से अजमेर उत्तर से दावेदारी करें। यहां यह बताना प्रासंगिक होगा कि पिछली बार लीक हुई लिस्ट में उनका नाम तय था, मगर ऐन वक्त पर पुष्कर के पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती बाजी मार ले गए थे। टिकट से वंचित होने पर रलावता ने नगर सुधार न्यास का अध्यक्ष बनने की पूरी कोशिश की, मगर सफलता हाथ नहीं लगी और उन्हें शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद पर ही संतुष्ट होना पड़ा। अब जबकि दिग्विजय सिंह और मजबूत हुए हैं तो आसार यही नजर आते हैं कि इस बार उनकी टिकट की दावेदारी और पुख्ता हो जाएगी।

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