आम आदमी पार्टी को नहीं मिल रहे कार्यकर्ता

अन्ना हजारे के साथ आंदोलन में हिस्सेदारी निभा कर अरविंद केजरीवाल भले ही राष्ट्रीय क्षितिज पर उभर आए हों, मगर अन्ना के साथ बेवफाई करके आम आदमी पार्टी बनाने के बाद उनका ग्राफ लगातार गिरता दिखाई दे रहा है। असल में आम आदमी अब उन्हें एक सामाजिक कार्यकर्ता की तरह सम्मान नहीं देता और एक राजनेता के रूप में देखता है, जिसकी लालसा सत्ता पाना है। और यही वजह है कि जो लोग पहले बढ़-चढ़ कर उनके साथ आंदोलन में जुड़ते थे, वे पार्टी के साथ जुडऩे में कतरा रहे हैं। विशेष रूप से एक टीवी कार्यक्रम में अन्ना हजारे ने जैसे ही केजरीवाल के बारे में प्रतिकूल टिप्पणी की है, कार्यकर्ता उनकी पार्टी से परहेज करने लगे हैं। हालत ये है कि पार्टी की जिला इकाइयां गठित करने में ही जोर आ रहा है। कार्यकर्ता ही नहीं मिल रहे। नतीजतन उनके सिपहसालारों को विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ सुथरे कार्यकर्ताओं की मिन्नतें करनी पड़ रही हैं कि उनके साथ जुड़ें। कांग्रेस के साथ तो जबरदस्त छत्तीस का आंकड़ा है, ऐसे में विशेष रूप से भाजपा के कार्यकर्ताओं पर डोर डाले जा रहे हैं, मगर वे हिंदूवादी मानसिकता के कारण किसी भी सूरत में जुडऩे को तैयार नहीं हो रहे।

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