आप के सर पर तोमर को मारने का पाप

दिल्ली पुलिस के कांस्टेबल सुभाष चंद तोमर के मौत की गुत्थी रोजाना सुलझती और रोजाना उलझती है। आज एक नया प्रत्यक्षदर्शी सलीम अल्वी सामने आया है उसके मुताबिक जब लाठी चार्ज हुआ तो कुछ पत्थर तोमर की और फेके गए जिससे वह गिर पड़े। इसके बाद 7-8 लोगों ने उन्हे पीटना शुरू कर दिया। उनमें से कुछ ने सादे कपड़े पहन रखे थे और चार-पांच लोगों ने आम आदमी पार्टी की टोपी पहन रखी थी। इससे पहले योगेंद्र और पॉलिन ने दावा किया था कि जब तोमर गिरे तो भीड़ उनसे काफी आगे थी।

अल्वी ने बताया कि जब तोमर को वे लोग पीट रहे थे तो मैंने बीच-बचाव की कोशिश की लेकिन उन्होंने कहा कि प्रदर्शकारी यही तो करते हैं। करीब 20 सेकेंड तक वे लोग तोमर को पीटते रहे और उसके बाद वह भाग गए। अल्वी ने बताया कि उसने उस समय की कोई तस्वीर नहीं खींची। क्योंकि वाटर कैनन के शुरू होते होते ही मैने अपने फोन को प्लास्टिक बैग में डाल दिया था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि कांस्टेबल की हालत इतनी खराब हो जाएगी।

नए प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि वह अभी तक चुप था क्योंकि मैने सोचा मेरा बयान विवाद को और बढ़ा देगा। लेकिन जब मैने टीवी पर देखा की कुछ लोग कह रहे हैं कि तोमर को किसी ने नहीं मारा तो मैने आगे आने का फैसला किया और कल शाम को पुलिस में अपना बयान दर्ज कराया। अगर हम एक लड़की के लिए इंसाफ की मांग कर सकते हैं तो हमें तोमर जैसे निर्दोष व्यक्ति को भी न्याय दिलाने की मांग करनी चाहिए। योगेन्द्र और पॉलिन के बयान पर अल्वी ने कहा कि वह दोनों घटना के 10 मिनट बाद वहां पहुंचे थे। इसलिए उन्होंने यह सब नहीं देखा। उस वक्त तक मै वहीं था।

तीनों प्रत्यक्षदर्शियों से आज क्राइम ब्रांच ने पूछताछ की। इससे पहले कल पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में भी कहा गया था कि तोमर को किसी कुंद वस्तु से मारा गया है जिसके कारण उनको चोटे आईं। लेकिन इसके विपरीत योगेन्द्र और पॉलिन के मुताबिक तोमर प्रदर्शनकारियों का पीछा करते हुए अचानक गिर गए। योगेन्द्र और पॉलिन की बात और बल तब मिला जब डाक्टर ने भी माना जिस समय तोमर को अस्पताल लाया गया था उस समय उसे कोई भी बाहरी चोट नहीं लगी थी। लेकिन तीसरे गवाह के सामने आने के बाद जांच में कई पेंच फंस गए हैं।
विस्फोट डॉट कॉम से साभार 

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