देवनानी को बहुत याद आएगा तलवार भांजना

हालांकि विधानसभा अध्यक्ष का पद छोटा मोटा नहीं होता। उसका अपना रूतबा होता है, एक अलग षान होती है। मगर क्या यह वासुदेव देवनानी के व्यक्तित्व व स्वभाव के अनुकूल रहेगा। जब से वे उदयपुर से अजमेर आए और पहली बार विधायक बने, तब से लेकर अब तक केवल संघर्श और केवल संघर्श करते रहे। यहां तक कि पांचवें चुनाव में भी उनके सामने कठिन चुनौतियां थीं। यानि राजनीतिक दावपेच झेलना और उनका जवाब देना उनकी आदत में षुमार हो गया। अब जो पद मिला है, उसकी प्रकति बिलकुल भिन्न है। हालांकि उन्हें जितना लंबा राजनीतिक अनुभव है, उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत महसूस नहीं होगी, मगर वह मजा जो विधायक व मंत्री रहते होता है, उससे वे महरूम हो जाएंगे।
संगठनात्मक क्षमता और चुनावी रणनीति में हासिल महारत अब क्या काम आएगी। ताजा चुनाव से पहले तक उनसे प्रदेष भर में संगठन के काम करवाए गए। विधानसभा अध्यक्ष रहते उनकी इस योग्यता पर तो ताला ही लग गया। इसके बजाय तो भाजपा उन्हें काबिना मंत्री या संगठन में प्रदेष अध्यक्ष बना कर उपयोग कर पाती।
देवनानी पीछे मुड कर देखेंगे तो रह रह कर उन्हें कई बातें याद आएंगी। सबसे पहले तो अजमेर भाजपा के भीश्म पितामह औंकार सिंह लखावत के साथ खेले गए दाव पेच याद आएंगे। फिर दो धडों में बंटी भाजपा में रह कर समकक्ष विधायक श्रीमती अनिता भदेल से मुकाबले में बीतता समय ख्याल में रहेगा। हर दिन कोई न कोई उद्घाटन, भाशण, माल्यार्पण क्या आदत में षुमार नहीं हो गया होगा, जिसकी पूर्ति अब हो नहीं पाएगी। पानी के लिए कभी खुद प्रषासन के खिलाफ प्रदर्षन करते थे, तो कभी उनके घर पर मटके फोडे जाते थे। आए दिन कोई न कोई झंझट। फिर सिंधीवाद गैर सिंधवाद के चलते उत्पन्न कठिन डगर पर चलना और मंजिल को पार करने का सुखद अनुभव गुदगुदाएगा। ताजा चुनाव में अपनी ही पार्टी के ज्ञान सारस्वत की चुनौती से निपटने के लिए जो साम दाम दंड भेद अपनाए, वे अनुभव के खजाने का अहम हिस्सा हो गए हैं। अब संवैधानिक गरिमा के चलते वे भाजपा के कार्यक्रमों में भाग नहीं ले पाएंगे। एक सवाल ये भी कि क्या पांच साल बाद फिर चुनाव लडेंगे या सिंधी समाज में अपना उत्तराधिकारी खडा करेंगे। जानकार मानते हैं कि उनकी जो पात्रता है, उसका सही उपयोग नहीं किया गया है। इन सब से इतर उनका मीडिया को दिया गया बयान सारी जिज्ञासाओं पर विराम चिन्ह लगा देता है कि उन्हें समय समय पर अलग अलग जिम्मेदारी दी गई है और उन्होंने उसे बखूबी निभाने की कोषिष की है।

error: Content is protected !!