भगत के पीछे हाथ धो कर पड़े हैं मटाई

naren shahani 6दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें अपने से ज्यादा दूसरे की फिक्र होती है। खुद को कुछ मिले या न मिले, मगर दूसरे को तो कत्तई नहीं मिलना चाहिए। ऐसों में ही एक है कि एडवोकेट अशोक मटाई। उनका एक सूत्री कार्यक्रम है नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष नरेन शहाणी भगत की खिलाफत करना। शायद ही कोई ऐसा मौका आया होगा, जब उन्होंने अपने लिए कांग्रेस हाईकमान से कुछ मांगने की जिद की होगी। दूसरी ऐसे मौके हजार आए होंगे, जबकि उन्हें आप भगत को कुछ न मिलने की दुहाई देते हुए देखा जा सकता है। उन्हें सिर्फ ये चिंता रहती है कि कहीं भगत को कुछ न मिल जाए। कई बार तो ऐसा प्रतीत होता है उनका भगत के प्रति कुछ ज्यादा ही प्रेम है। आज नहीं, वे पिछले कई सालों से भगत की कार सेवा में जुटे हुए हैं। दरअसल वे नहीं चाहते कि भगत को विधानसभा चुनाव का टिकट मिले।  पिछली बार जब पूर्व विधायक नानकराम जगतराय का टिकट काट कर भगत को दे दिया गया था तो भी उन्होंने जम की खिलाफत की थी। लोग तो यहां तक कहते हैं कि अगर वे नानकराम को नहीं घेरते तो वे निर्दलीय नहीं लड़ते और भगत विधायक बन जाते। यानि कि टिकट मिलने के बाद हराने में उनकी अहम भूमिका रही। पिछले चुनाव में भी उन्होंने भगत के खिलाफ कई चिट्ठे जयपुर-दिल्ली भेजे। यह कहना भले ही सही न हो कि उनकी शिकायतों की वजह से भगत का टिकट कटा, मगर उन्होंने तो अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी थी। यूआईटी चेयरमेन बनने से पहले भी उन्होंने कम कारसेवा नहीं की। यह बात दीगर है कि उनकी शिकायतों को रद्दी की टोकरी दिखा कर भगत को ईनाम दे दिया गया। अब जब कि फिर विधानसभा चुनाव नजदीक हैं तो वे फिर पूरी ताकत से उनकी खिलाफत कर रहे हैं। उनकी हालत ये कि उन्हें उठते, बैठते, सोते केवल भगत ही नजर आते हैं। इसका ज्वलंत उदाकरण ये है कि पिछले दिनों जब उन्होंने सिंधी समाज को अल्पसंख्यक घोषित करने बाबत संवाददाता सम्मेनल बुलाया तो वहां भी भगत की बुराई करना नहीं भूले।

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