चैनल ने ले लिया बंसल का इस्तीफा

pavan bansal 2टीवी चैनलों के अटकलों का बाजार ठंडा पड़ गया। आखिरकार रेलमंत्री पवन बंसल के इस्तीफे की खबर आ ही गई। पवन बंसल के इस्तीफे की खबर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात के बाद आई है। यह सारी सूचनाएं, खबरें दो चैनल सबसे आगे आगे अपने विश्वस्त सूत्रों के हवाले से दे रहा है उसका नाम है सीएनएन-आईबीएन। इस चैनल के बारे में कहा जाता है कि यह कांग्रेस का कारीबी चैनल है। इसके करीबी होने पर कोई संदेह नहीं होना चाहिए नहीं तो सोनिया गांधी और मनमोहन सिंह के बीच हुई मुलाकात में दोनों के बीच वास्तव में क्या बात हुई अगर यह चैनल इतने दावे से बता रहा है तो निश्चित रूप से इस चैनल की पहुंच सोनिया गांधी या फिर मनमोहन सिंह तक सीधी है। कांग्रेस के करीबी इसी न्यूज चैनल सीएनएन-आईबीएन का दावा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात के वक्त सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री पर दबाव डाला कि वे किसी भी सूरत में पवन बंसल का इस्तीफा ले लें।

हालांकि आधिकारिक तौर पर न तो सरकार की तरफ से पवन बंसल के इस्तीफे की बात कही गई है और न ही खुद पवन बंसल ने इस बारे में कुछ कहा है लेकिन सीएनएन-आईबीएन का दावा है कि सोनिया गांधी के दबाव में मनमोहन सिंह ने पवन बंसल से इस्तीफा ले लिया है। इसी चैनल का यह भी दावा है कि जल्द ही मंत्रिमंडल का एक विस्तार होगा और उस विस्तार के वक्त अश्विनी कुमार को भी मंत्रिपद से हटाया जा सकता है। अश्विनी कुमार इस वक्त कानून मंत्री हैं और उनके ऊपर आरोप है कि उन्होंने कोयला घोटाला में सीबीआई की जांच रिपोर्ट में फेरबदल करवाये थे।

64 वर्षीय पवन बंसल कांग्रेस की ओर से अक्टूबर 2012 में रेलमंत्री बनाये गये थे, लेकिन वे इस पद पर छह महीने से ज्यादा नहीं टिक पाये, और भांजे द्वारा 90 लाख रूपये की घूसखोरी के आरोप में मंत्रिपद छोड़ना पड़ गया। पवन बंसल के भांजे विजय सिंगला ने कथित तौर पर रेल बोर्ड के एक सदस्य महेश कुमार से नब्बे लाख रूपये लिये थे और ठेका दिलाने के एवज में 10 करोड़ रूपये की कुल डील की थी। सीबीआई द्वारा रंगे हाथ पकड़े गये विजय सिंगला के अलावा अन्य चार आरोपियों को एक दिन पहले ही दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने 20 मई तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। गुरूवार को ही सीबीआई ने बंसल के निजी सचिव राहुल भंडारी से भी पूछताछ की थी जिनके बारे में कहा जा रहा है कि रेल मंत्रालय के सभी महत्वपूर्ण निर्णयों में भंडारी शामिल रहते थे।

पवन बंसल और अश्विनी कुमार के मामले में अगर आपने टीवी चैनलों की रिपोर्टिंग देखी होगी तो आपको अंदाज होगा कि देश में चैनलों ने विपक्ष की जगह ले ली है। खासकर वे तब महत्वपूर्ण हो जाते हैं जब दो गुटों में से किसी एक गुट की तरफदारी करने लगते हैं। पवन बंसल और अश्विनी कुमार के इस्तीफे पर विपक्ष से ज्यादा सीएनएन-आईबीएन चैनल अड़ा दिख रहा था। उसकी खबर में साफ तौर पर समझ में आ रहा है कि वह पूरे मामले में मनमोहन सिंह को खलनायक बनाकर पेश कर रहा है जबकि सोनिया गांधी को ऐसी वीरांगना बना रहा है मानों भ्रष्टाचार उन्हें कत्तई बर्दाश्त नहीं है। यह नये तरह की राजनीति है जिसमें समाचार चैनलों को बखूबी इस्तेमाल किया जाता है। इस पूरे में भी यही होता दिख रहा है।

हालांकि इस बार सीएनएन-आईबीएन का साथी सहोदर एनडीटीवी इस मामले में थोड़ा कमजोर पड़ गया। इसका कारण शायद यह होगा कि अभी भी एनडीटीवी कांग्रेस की नजर में उतना विश्वसनीय नहीं हो पाया है जितना प्रधानमंत्री की नजर में है। उन्हीं के समूह के एक सज्जन इन दिनों प्रधानंत्री कार्यालय में प्रेस सलाहकार हैं। ऐसे में जाहिर है डैमेज कन्ट्रोल एक्सरसाइज में एनडीटीवी स्वाभाविक तौर पर सात रेसकोर्स रोड को बचाने की कवायद कर रहा होगा, लेकिन सीएनएन-आईबीएन ने आखिरकार एनडीटीवी को उसी तरह पिछाड़ दिया जैसे मनमोहन सिंह को सोनिया गांधी ने। उसके पास सूचनाओं का जो विश्वसनीय स्रोत था उसके बूते उसने बाजी मार ली, और मंत्री जी के इस्तीफे की पक्की खबर प्रसारित कर दी। उम्मीद करनी चाहिए कि जल्द ही इसकी आधिकारिक पुष्टि हो जाएगी। आखिर, खबर देनेवाला कांग्रेस और सोनिया गांधी का करीबी चैनल जो ठहरा। विस्फोट डॉट कॉम

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