एसीबी की न्यास पर नजर होने की कानाफूसी पहले से थी

uitaएंटी करप्शन ब्यूरो के जांच अधिकारी भीम सिंह बीका भले ही यह कह कर कि न्यास के उप नगर नियोजक साहिब राम जोशी को स्वतंत्र गवाह बनाने का उनका फैसला गलत था, जिसकी वजह से प्रॉपर्टी डीलर मनोज गिदवानी को रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े जाने की कार्यवाही विफल हो गई, मगर एसीबी न्यास पर कड़ी नजर रखे हुए है, इसकी कानाफूसी तो एक लंबे अरसे से शहरभर में चल रही थी। संभव है ऐसा इस कारण भी हुआ हो कि नियमन के मामले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने के राजनीतिक आरोप लगने के कारण लोगों ने अनुमान लगाया हो। भले ही इस तरह की चर्चाएं करने वालों के पास कोई पुख्ता जानकारी न हो, मगर कानाफूसियों की अबाबीलें उडऩे का मतलब ही ये है कि एसीबी ने घोर लापरवाही बरती। कानाफूसी तो यह तक थी कि ब्यूरो विशेष रूप से जोशी पर ही शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है, जिन्हें कि उसने सरकारी गवाह बनाने की कोशिश की।
एसीबी को शक होगा कि उसकी कार्यवाही में शामिल अधिकारी-कर्मचारियों में से किसी ने मामला लीक किया हो, मगर कानाफूसी तो यह तक है कि उनसे इतर भी न्यास मामलों में रुचि रखने वाले अन्य लोगों तक में यह चर्चा थी कि एसीबी जल्द ही छापा मारने वाली है। कदाचित उन्हीं में से किसी के जरिए मामला लीक हुआ हो। जो कुछ भी हो, मगर पुलिस कप्तान राजेश मीणा तक को शिकंजे में लेने का तमगा लगाने वाली एसीबी के लिए ताजा प्रकरण शर्मनाक है।

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