जस्टिस इसरानी का विरोध भी हो गया शुरू

i s israniआगामी विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर सीट के लिए कांग्रेस की ओर से जस्टिस इंद्रसेन इसरानी का नाम चर्चा में आते ही उनका विरोध भी शुरू हो गया है। ज्ञातव्य है कि अजमेर में ब्लॉक व शहर स्तर पर तैयार पैनलों में उनका नाम नहीं है, फिर भी जयपुर व दिल्ली में उनके नाम की चर्चा है। असल में राजस्थान में वरिष्ठतम सिंधी नेता माने जाते हैं और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी हैं। बताया तो यह तक जाता है कि सिंधी समाज के बारे में कोई भी निर्णय करने से पहले गहलोत उनसे चर्चा जरूर करते हैं। इसी कारण जैसे ही उनका नाम सामने आया, उसे गंभीरता से लिया गया। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव व अजमेर प्रभारी सलीम भाटी की ओर से की गई रायशुमारी के दौरान तो बाकायदा उनका नाम लेकर कांग्रेस नेता राजेन्द्र नरचल ने विरोध दर्ज करवा दिया और कहा कि जब अजमेर में पर्याप्त नेता हैं तो फिर क्यों बाहरी पर गौर किया जा रहा है। वे यहीं तक नहीं रुके। आगे बोले कि वे इसरानी का पुरजोर विरोध करेंगे, चाहे उन्हें कांग्रेस से निकाल दिया जाए। उन्होंने ये तान किसके कहने पर छेड़ी, इसका पता नहीं लग पाया है। इसरानी के नाम पर अन्य दावेदारों को कितनी चिंता है, इसका अंदाजा इस घटना से लगाया जा सकता है। हाल ही जब एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली गया और वहां भी जस्टिस इसरानी के नाम की चर्चा हुई तो उसने उनका विरोध कर दिया और साथ ही अजमेरनामा में चौपाल कॉलम के अंतर्गत गत दिवस छपे न्यूज आइटम का प्रिंट भी दिखा दिया, जिसमें बताया गया है कि इससे पहले भी वे अजमेर में जमीन तलाशने आ चुके हैं और विवादित बयान देने के कारण भाग छूटे थे।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि इसरानी का नाम खुद उनकी ओर चलाया हुआ नहीं दिखता। इसकी वजह ये है कि एक तो वे बेहद रिजर्व नेचर के हैं और दूसरा चुनावी राजनीति के दावपेच से पूर्णत: अनभिज्ञ। स्थानीय स्तर पर उनकी कुछ पकड़ भी नहीं है। उनका नाम गहलोत लॉबी में कहीं चर्चा में आया होगा ओर वहीं से पंख लगा कर चुनावी आसमान में घूम रहा है।
-तेजवानी गिरधर
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