-गौरव अवस्थी – लखनऊ लिटरेरी फेस्टिवल लखनऊ के साइंटिफिक सेंटर हुआ। फेस्टिवल का साहितियिक सत्र में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी को समर्पित था। सत्र का विषय था “सरस्वती से हंस तक ” और इस बहाने आज की साहितियिक पत्रकारिता चर्चा के केंद्र में थी। चर्चा के लिए खास मेहमान थे प्रसिद्ध साहित्यकार असगर वजाहत। उनके अलावा लखनऊ के साहित्यकार वीरेंद्र यादव और कथाकार अखिलेश ने चर्चा में भाग लिया। संचालन कर रहे थे विनोद तिवारी।
वजाहत ने कहा कि आज रचनाएं गौड़ और रचनाकार प्रमुख। जबकि साहितियिक पत्रकारिता में रचना के सभी आयामों पर होनी चाहिए। महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अपने संपादन काल में इन रीतियों-नीतियों का पूरा पालन किया। वीरेंद्र यादव ने कहा कि साहितियिक पत्रकारिता के दो पहलू हैं , एक आजादी के पहले का और दूसरा आजादी के बाद का। आजादी के पहले इसमें सामाजिक होती थी अब कम दिखती है। अखिलेश ने कहा कि पहले साहितियिक पत्रकारिता में राजनीतिक पक्ष शामिल होता था और राजनीतिक पत्रकारिता में साहितियिक पक्ष। अब दोनों चीजें एक-दूसरे से बिल्कुल विमुख हो चुकी हैं। वापस लाने की जरुरत है और इसके लिए आचार्य द्विवेदी के सिद्धांत बहुत उपयोगी सिद्ध होंगे।
यह वर्ष आचार्य द्विवेदी की 150वी जयंती का वर्ष है और पूरे देश में उनकी स्मृति में समारोह और सेमिनार आयोजित हो रहे हैं। जन्मदिन 9 मई 2013 को रायबरेली से शुरू हुआ सिलसिला आगे बढ़ता है। आचार्य द्विवेदी राष्ट्रीय स्मारक समिति रायबरेली और उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित समारोह में उन्हें याद किया गया था। अब तक सीतापुर, भोपाल, बी एच यू-वाराणसी, महोबा, फतेहपुर, प्रतापगढ़, दिल्ली, असम विश्व विद्यालय-सिल्चर आदि जगहों पर कार्यक्रम हो चुके हैं। 17-18 मार्च को मुम्बई विश्व विद्यालय दो दिन का सेमिनार आयोजित कर रहा है।