जिले के पांच विकासखण्डों के लोगों को मिला लाभ
स्वीकृत 885 में से 121 पूर्ण,589 में कार्य प्रारंभ
-डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव- दमोह/ भैया हमें तो खुबई अच्छो लग रओ है जो कमरा बनवा दओ सरकार ने जी सें हमाये जे ढोर बछेरू,बकरियां को रैवे की सुविधा हो गयी एैसा ही कुछ कहना था ग्रामीणांचलों के उन महिला पुरूषों का जिनको एक विशेष योजना के तहत उनके पशुओं को रहने के लिये शेडों का निर्माण कराया गया है। इनकी माने तो वह कहते हैं कि शेड बन जावे से जानवरों के संग हमोरें भी रैन लगत हैं कबऊं कबऊं और ये में अपने घर में जब कोनऊ काज होत है सो भी पई पावनों को रैवे को भी साधन हो गओ। चेहरे पर प्रसंन्नता का भाव लिये सरकार एवं प्रशासन के अधिकारियों को धन्यवाद देते यह लोग फूले नहीं समा रहे हैं। जिन हितग्राहियों को लाभ मिला उनमें से ग्राम तिंदनी पंचायत कनकपुरा के नथुआ आदिवासी,पुनुआ राजपाली ग्राम पाली एवं मुन्ना अठया ग्राम पंचायत पाली ने अपनी प्रसन्नता जाहिर करते हुये उक्त विचार क्षेत्रीय भाषा में व्यक्त किये। ज्ञात हो कि सरकार अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं का जहां संचालन कर रही है तो वहीं प्रशासन के अधिकारियों की सूझबूझ के चलते इसका लाभ पात्र हितग्राहियों को मिल रहा है। मध्यप्रदेश सरकार की योजनाओं की बात करें या फिर केन्द्र सरकार की जिले में अनेकों लोगों को लाभ दिलाने की जानकारी संबधित विभागों के द्वारा प्राप्त हो रही है। अभी हम बात कर रहे हैं मनरेगा के तहत जिले में स्वीकृत,निर्मित एवं निर्माणाधीन बकरी पालन शेडों की जिनका लाभ मिलने से हितग्राहियों में प्रसन्नता का महौल व्याप्त है। प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत सरकार की गाईड लाईन में 2013 मेंं प्रावधान किया गया कि हितग्राहियों की उनकी निजि भूमि पर पशु पालन योजना का लाभ उठा रहे लोगों को पशुओं को रहने के लिये शेडों का निर्माण कराया जाये।
जिसके तहत जिले के कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डा.जगदीश जटिया के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में जिले के पांच विकास खण्डों में कार्य प्रारंभ कराये गये जिनमें से कुछ पूर्ण हो चुके हैं तो अधिकांश पूर्णता की ओर देखे जा सकते हैं। संबधित विभाग जिला पंचायत से प्राप्त जानकारी के अनुसार दमोह में 88,पथरिया में 472,हटा में 182,बटियागढ में 95 एवं जबेरा में 48 यानि कुल 885 प्रकरणों में तकनीकी स्वीकृति प्रदान की गयी । जिनमें से 121 पूर्ण हो चुके हैं जिनमें हितग्राही अपने पशुओं को रखने के साथ ही अन्य कार्यों में आवश्यकता अनुसार प्रयोग भी करने लगे हैं। वहीं 589 शेड पूर्णता की दिशा में बढ रहे हैं जिनका कार्य तीव्र गति से चल रहा है।