दलीय राजनीति से भी हाथ खींच लिया हजारे ने

Anna-hazare 450नई दिल्ली। समाजसेवी अन्ना हजारे ने केवल तृणमूल कांग्रेस से ही नहीं बल्कि दलीय राजनीति से भी हाथ खींच लिया है। ममता के साथ उन्हें रामलीला मैदान से बड़ा एलान करना था। पर रैली में निर्धारित समय से दो घंटे बाद भी दो ढाई हजार की भीड़ आई तो सभी का आकलन बिगड़ गया। पर अन्ना हजारे ने कुछ दिन पहले ही मन बना लिया था कि राजनैतिक दल का समर्थन कर उन्होंने बड़ी गलती कर दी है। इसके साथ ही आठ और नौ मार्च को जब रालेगण सिद्धि में जन आंदोलन के पुराने सहयोगी पीवी राजगोपाल, डॉ. सुनीलम से लेकर राजेंद्र सिंह से उनकी लंबी चर्चा हुई तो आगे का रास्ता साफ़ हो चुका था। लखनऊ में किसानों के सवाल पर जो किसान एजेण्डा तैयार किया गया था उस पर सुनीलम और राजेंद्र सिंह ने उनसे चर्चा की और इस सवाल पर ठोस पहल की अपील की। इसके साथ ही अन्ना ने देश की युवा शक्ति को जगाने खासकर गाँवों के नौजवानो को लेकर दस साल का एक एजेण्डा तैयार करने पर जोर दिया।
अन्ना हजारे ने पीवी राजगोपाल और राजेंद्र सिंह को दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में जन आंदोलनो की बैठक बुलाने की जिम्मेदारी दी थी। बुधवार को दिल्ली के महाराष्ट्र सदन में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और पंजाब आदि के करीब बीस कार्यकर्ताओं के साथ अन्ना हजारे ने चर्चा की और समाज में बदलाव की गैर दलीय पहल पर जोर दिया गया। इस पहल की शुरुआत 23 मार्च को पंजाब से होगी। यह दिन भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की शहादत का दिन है। इस आंदोलन को दूसरी आजादी की लड़ाई का लोकदेश नाम दिया गया है।
आज राजेंद्र सिंह के लोकदेश कार्यक्रम में हजारे ने काफी बातें साफ़ भी कर दीं। जिसके मुताबिक जन आंदोलनों और जन संगठनों को जोड़ते हुये देश के हर जिले में नौजवानों का एक जत्था तैयार किया जायेगा। यह बदलाव जल-जंगल-जमीन के साथ कॉरपोरेट घरानों की लूट के खिलाफ एक आंदोलन खड़ा करने के है जिसमे युवा वर्ग की भागेदारी सबसे ज्यादा होगी। यह लड़ाई गरीबी भुखमरी और बेरोजगारी के खिलाफ होगी। सबको बेहतर शिक्षा मिले,रोजगार मिले और सम्मान से जीने का अधिकार मिले यह भावना इसमें शामिल होगी। इसे लेकर जन आंदोलनों के कार्यकर्त्ता जल्द ही भावी रणनीति तैयार करेंगे। हजारे ने अपने सत्रह सूत्रीय एजेण्डा के साथ लखनऊ में तैयार हुये किसान एजेण्डा को इस अभियान में शामिल कर लिया है और अन्य आंदोलनों से भी सुझाव माँगे हैं।
जून में रालेगण सिद्धी में बड़ा शिविर कर इस आंदोलन के आगे की रणनीति बनाई जायेगी। कार्यकर्ताओं ने इस आंदोलन के लिये कश्मीर से कन्याकुमारी तक की पदयात्रा का भी सुझाव दिया है, जो बाद में देश के दूसरे हिस्सों तक नौजवानों को जोड़ने के लिये निकाली जाएँगी।

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