भावुक संदेश के साथ दिया मनमोहन सिंह ने इस्तीफा

manmohanनई दिल्ली / लोकसभा चुनावों में यूपीए की करारी हार के बाद शनिवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। मनमोहन ने इस्तीफे से पहले राष्ट्र के नाम भावुक संदेश दिया। उन्होंने अपने छोटे से संबोधन में कहा कि मेरा जीवन और कार्यकाल खुली किताब है।उन्होंने कहा, ‘मुझे जो कुछ भी मिला इस देश की वजह से मिला। इस देश ने बंटवारे से बेघर हुए एक बच्चे को इतने ऊंचे ओहदे तक पहुंचाया, मैं इस कर्ज को कभी चुका नहीं सकता।’ उन्होंने नई सरकार को बधाई देते हुए कहा कि हम सभी देशवासियों को 2014 के जनादेश का सम्मान करना चाहिए। पीएम ने कहा, ‘भारत में विकास और प्रगति की विशाल क्षमता है, हम सभी को अपनी इस क्षमता को महसूस करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी।’ उन्होंने कहा, ‘प्यारे देशवासियो, आज मैं आपको प्रधानमंत्री के रूप में आखिरी बार संबोधित कर रहा हूं। दस साल पहले इस जि़म्मेदारी को संभालते वक्त मैंने अपनी पूरी मेहनत से काम करने और सचाई के रास्ते पर चलने का निश्चय किया था।
मेरी ईश्वर से प्रार्थना थी कि मैं हमेशा सही काम करूं। आज, जब प्रधानमंत्री का पद छोड़ने का वक्त आ गया है, मुझे अहसास है कि ईश्वर के अंतिम निर्णय से पहले, सभी चुने गए प्रतिनिधियों और सरकारों के काम पर जनता की अदालत भी फैसला करती है। मेरे प्यारे देशवासियों, आपने जो फैसला दिया है, हम सभी को उसका सम्मान करना चाहिए।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इन लोकसभा चुनावों से हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था की जड़ें मजबूत हुई हैं। जैसा मैंने कई बार कहा है, मेरा सार्वजनिक जीवन एक खुली किताब है। मैंने हमेशा अपनी पूरी क्षमता से अपने महान राष्ट्र की सेवा करने की कोशिश की है।
पिछले दस सालों के दौरान हमने बहुत सी सफलताएं और उपलब्धियां हासिल की हैं जिन पर हमें गर्व है। आज हमारा देश हर मायने में दस साल पहले के भारत से कहीं ज्.यादा मजबूत है। देश की सफलताओं का श्रेय मैं आप सबको देता हूं। लेकिन अभी भी हमारे देश में विकास की बहुत सी संभावनाएं हैं, जिनका फायदा उठाने के लिए हमें एकजुट होकर कड़ी मेहनत करने की जरूरत है।’ भावुक लहजे में मनमोहन ने कहा, ‘प्रधानमंत्री का पद छोड़ने के बाद भी आपके प्यार और मोहब्बत की याद हमेशा मेरे जहन में ताजा रहेगी। मुझे जो कुछ भी मिला है, इस देश से ही मिला है। एक ऐसा देश जिसने बंटवारे के कारण बेघर हुए एक बच्चे को इतने ऊंचे पद तक पहुंचा दिया। यह एक ऐसा कर्ज है जिसे मैं कभी अदा नहीं कर सकता। यह एक ऐसा सम्मान भी है जिस पर मुझे हमेशा गर्व रहेगा। मित्रो, मुझे भारत के भविष्य के बारे में पूरा इत्मीनान है। मुझे पक्का विश्वास है कि वह समय आ गया है जब भारत दुनिया की बदलती हुई अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरेगा। परंपरा को आधुनिकता के साथ और विविधता को एकता के साथ मिलाते हुए हमारा देश दुनिया को आगे का रास्ता दिखा सकता है। अपने महान देश की सेवा करने का मौका मिलना मेरा सौभाग्य रहा है। मैं इससे ज्यादा कुछ और नहीं मांग सकता था। मेरी शुभकामना है कि आने वाली सरकार अपने काम-काज में हर तरह से सफल रहे। मैं अपने देश के लिए और भी बड़ी सफलताओं की कामना करता हूं।’

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