स्वयंसेवकों ने किया पथसंचलन,नागरिकों ने बर्षाये पुष्प

घोष की धुन से गुंजायेमान हुये मार्ग स्वयंसेवकों ने किया कदमताल
बाजीराव भोज में स्वयंसेवकों ने किया खडे होकर भोजन
DSC_0708DSC_0771– डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव- दमोह / घोष की धुन पर कदमताल करते पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवक पथों पर पुष्पों से स्वागत करते नागरिक,मार्गों में खडे होकर दर्शन करते लोग जी हां एैसा ही कुछ दृश्य दिखलायी दिया आज नगर के मुख्य मार्गाे का जहां राष्ट्रीय स्वयंसेवकों ने पथसंचलन किया। विदित हो कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का संघ शिक्षा वर्ग गत 18 मई से दमोह नगर के केशवनगर स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में चल रहा है। 21 दिनों तक चलने वाले उक्त संघ शिक्षा वर्ग में महाकौशल प्रांत के चार विभागों के 14 जिलों के बडी संख्या में स्वयंसेवक प्रथम बर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। यहीं रहकर पूर्ण मनोयोग के साथ प्रतिदिन ब्रम्हमूर्हूत में उठकर लगातार देर रात्रि तक इनके प्रशिक्षण का कार्यक्रम चलता रहता है। जब आसमान में सूरज अपनी तेज गर्मी से अग्रि की सूनामी उत्पन्न कर रहा हो गर्मी अपने पूर्व के समस्त रिकार्डों को ध्वस्त कर रही हो? एैसी विषम परिस्थिति मेें भी अथक प्रशिक्षण देना और लेना दोनो ही अपने आप में एक त्याग तपस्या और बलिदान को दर्शाता है कि राष्ट्रोत्थान के संकल्प को पूरा करने की दिशा में स्वयंसेवक किस प्रकार अपनी आहुतियां देने के लिये आतूर रहते हैं। व्यक्ति निर्माण में लगे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वारा लगातार इस प्रकार के वर्गों का आयोजन अपने स्थापना के समय से ही लगातार चल रहा है।  विश्व के लगभग 80 देशों में इसका कार्य चल रहा है। देश में इस समय 40 हजार से अधिक शाखायें और 20 हजार से अधिक प्रभावी संस्कार केन्द्र चल रहे है तो वहीं डेढ लाख से अधिक सेवाकार्य के प्रकल्प चल रहे हैं। हिन्दुओं को संगठित एवं संस्कारित कर अपने इस महान राष्ट्र भारतबर्ष को परम वैभव पर पहुंचाने के लक्ष्य को लेकर संघ कार्य प्रारंभ हुआ। इसी भावना से प्रेरित होकर आज लाखों स्वयंसेवक राष्ट्रहित के कार्य में निरंतर लगे हुये हैं। सामाजिक शिक्षा,सामाजिक स्वास्थ्य,सामाजिक सुरक्षा,स्वालंबन एवं समरसता जैसे बिन्दुओं को ध्यान में रख निरंतर कार्य जारी है। महाकौशल प्रांत में संघ सृष्टि के अंतर्गत सेवा भारती,वनवासी कल्याण आश्रम,भारत विकास परिषद,विश्व हिन्दु परिषद आदि संगठन 75 प्रकार के लगभग 3500 सेवा कार्य चला रहे हैं। इनमें बाल/बालिका संस्कार कोचिंग,कम्पूटर शिक्षा,सिलाई केन्द्र एवं पुस्तकालय सम्मिलित हैं। संघ अपनी शाखाओं एवं कार्यक्रमों के माध्यम से केवल समाज संगठन एवं व्यक्ति निर्माण का कार्य करता है।
किया घोष की धुन पर कदमताल-
उक्त संघ शिक्षा वर्ग में प्रथम बर्ष का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रांत के 14 जिलों के स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में पथसंचलन में सहभागिता की। स्थानीय केशवनगर सरस्वती शिशु मंदिर से निर्धारित समय साढे पांच बजे घोष की धून पर कदमताल करते हुये संचलन निकला जो कि स्टेट बैंक चौराहा,बस स्टेण्ड,स्टेशन चौक,राय तिराहा,घंटाघर,अंबेडकर चौक,बैंक चौराहा,डीजे बंगला के सामने से होते हुये स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर बालिका विद्यालय पहुंचा। पथ संचलन कर रहे स्वयंसेवकों के स्वागत एवं सम्मान में गणमान्य नागरिकों द्वारा पुष्प बर्षा अभिनंदन किया गया। इनके कदम ताल को देख लोग तारीफ करते नजर आये।
संघ शिक्षा वर्ग –
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करने तथा व्यक्ति निर्माण के लिये प्रशिक्षण आयोजित करता रहता है। जिसको संघ शिक्षा वर्ग का नाम दिया गया है। जिसको प्रथम,द्वितीय एवं तृतीय बर्ष का नाम दिया गया है वैसे तो प्राथमिक,दक्षता,नेपुण्य वर्गों का आयोजन भी होता रहता है। उक्त वर्ग में स्वयंसेवकों को मानसिक,शारीरिक दोनो प्रशिक्षणों को दिया जा रहा है। एकात्मस्त्रोत पाठ के साथ प्रात:काल सभी स्वयंसेवक अपने कार्य की शुरूआत करते हैं। संघ स्थान पर नियुद्ध,समता,दण्ड,जुडो कराते,योग के साथ ही घोष के विभिन्न वाद्य यंत्रों जैसे शंख,आनक,वंशी के वादन करने का अभ्यास कराया जाता हैै। विद्वान वक्ताओं के द्वारा बौद्धिक दिया जाता है तो वहीं चर्चा सत्र में स्वयंसेवकों एवं वक्ताओं के मध्य चर्चा भी होती है। लगातार चलने वाले उक्त कार्य में दिन भर में होने वाले कार्यक्रमों का समय निर्धारित किया गया है जिसको समय सीमा में ही पूर्ण करना होता है।
बाजीराव भोज-
पथसंचलन के पश्चात् स्वयंसेवकों ने बाजीराव भोज किया। आपको बतला दें कि यह एक वह भोज है जो कि सैनिक युद्ध के समय करते हैं उनको अपना पूरा भोजन जो भी उनके पास होता है या उपलब्ध कराया जाता है को खडे-खडे ही खाना होता है। इस भोज में उसके अस्त्र-शस्त्र टंगे रहते हैं वह अपने न तो वस्त्रों को अर्थात् गणवेश को उतारता है और न ही वह शस्त्रों को वह खडे होकर एक हाथ में भोजन लेकर दूसरे हाथ से भोजन को समय सीमा में समाप्त कर अपने लक्ष्य की ओर निकल पडता है। एैसा ही कुछ पथसंचलन के पश्चात् प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले स्वयंसेवकों ने किया जिनके हाथों में सूखी रोटी और प्याज के साथ बेसन या अचार था। वह अपने गणवेश को धारण किया दण्ड को बगल में दबाये हुये भोजन करते देखे गये। एक अलग ही दृश्य का दर्शन कर उपस्थित लोगों ने दांतो तले उगंलियां दबा ली। समय सीमा में भोजन को समाप्त करना होता है।

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