ताई सुमित्रा महाजन बनी लोकसभा की स्पीकर

sumitraभाजपा की नयी सरकार बनने पर जब मंत्रियोंं की सूची में सुमित्रा महाजन का नाम नहीं दिखा तो सोशल मीडिया पर उनके समर्थकों ने निराशा प्रकट करते हुए कहा था कि इंदौर को उसका हक नहीं मिला। लेकिनन अब जबकि सुमित्रा महाजन देश की दूसरी महिला स्पीकर बन चुकी हैं तो न सिर्फ उनके समर्थकों का मलाल दूर हो गया होगा बल्कि देश में पहली बार पूर्ण बहुमत के जरिए सत्ता में पहुंची बीजेपी के लिए यह गौरव की बात होगी कि उन्होंंने कांग्रेस की ही तर्ज पर सुमित्रा महाजन को लोकसभा का स्पीकर चुना। लोकसभा अध्यक्ष के अहम ओहदे पर पहुंचने वाली वरिष्ठ भाजपा नेता सुमित्रा महाजन ने सियासत की ऊबड़-खाबड़ राहों पर सधी चाल से लंबा सफर तय किया है और उनके नाम कई चुनावी कीर्तिमान दर्ज हैं।

‘ताई’ (मराठी में ताई का मतलब बड़ी बहन) के नाम से मशहूर 71 वर्षीय भाजपा नेता सुमित्रा महाजन इंदौर लोकसभा क्षेत्र में वर्ष 1989 से अजेय रही हैं। 16 वीं लोकसभा के चुनावों में उन्होंने ‘मोदी लहर’ पर सवार होकर इस क्षेत्र से लगातार आठवीं जीत दर्ज की। इसके साथ ही, वह एक ही सीट और एक ही पार्टी के टिकट पर लगातार आठ बार लोकसभा पहुंचने वाली देश की पहली महिला सांसद बन गयीं। यह कीर्तिमान सिर्फ उनके ही नाम है। मृदुभाषी और सुलझी तबीयत की मालकिन सुमित्रा लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने वाली मध्यप्रदेश की पहली नेता भी बन गयी हैं। सुमित्रा की इस उपलब्धि के बाद उनका परिवार जश्न में डूब गया है। उनके छोटे बेटे मंदार महाजन का कहना है कि एक बेटे के तौर पर यह मेरे लिये बड़े गौरव का क्षण है कि मेरी मां लोकसभा अध्यक्ष बन गयी हैं। मेरे पास अपनी खुशी व्यक्त करने के लिये शब्द नहीं हैं।

इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से एमए और एलएलबी की डिग्री हासिल करने वाली सुमित्रा, अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। उनकी गिनती लोकसभा के सबसे वरिष्ठ और अनुभवी सांसदों में होती है। वह संसद की कई समितियों की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। 16 वीं लोकसभा के चुनावों में सुमित्रा ने अपने नजदीकी प्रतिद्वन्द्वी और कांग्रेस उम्मीदवार सत्यनारायण पटेल (46) को चार लाख 66 हजार 901 मतों से हराया। यह इस बार मध्यप्रदेश के सभी 29 लोकसभा क्षेत्रों में चुनावी जीत का सबसे बड़ा अंतर है।

वर्ष 1989 में नौवीं लोकसभा के चुनावों के दौरान जब वह इंंदौर से पहली बार चुनावी रण में उतरीं, तब इस सीट को कांग्रेस के मजबूत गढ़ के रूप में देखा जाता था। उन्होंने इन चुनावों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी को 1,11,614 मतों के विशाल अंतर से हराया था और पहली बार लोकसभा पहुंची थीं। सेठी को मात देने के बाद सुमित्रा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार चुनावी जीत दर्ज करते हुए इंदौर लोकसभा क्षेत्र को भाजपा के मजबूत गढ़ में तब्दील कर दिया।

‘ताई’ को इंदौर की पहली और इकलौती महिला सांसद होने का गौरव भी प्राप्त है। सुमित्रा का जन्म महाराष्ट्र के रत्नागिरि जिले के चिपलून में 12 अप्रैल 1943 को हुआ था। इंदौर के वकील जयंत महाजन से 29 जनवरी 1965 को विवाह के बंधन में बंधने के बाद वह मध्यप्रदेश के इसी शहर की खांटी संस्कृति में रच बस गयीं। सुमित्रा महाजन के पति का निधन हो चुका है। उनके परिवार में दो बेटे, बहुएं और पोते-पोतियां हैं।

error: Content is protected !!