सेना प्रमुख पद पर सुहाग की नियुक्ति अंतिम

suhagनई दिल्ली: सरकार ने आज कहा कि अगले सेना प्रमुख के पद पर लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग की नियुक्ति का निर्णय अंतिम है और सैन्य बलों से जुड़े मुद्दों को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए।राज्यसभा में रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश में यह परंपरा रही है कि कुछ मुद्दे अंतरदलीय राजनीति से अलग रखे जाते हैं। उन्होंने कहा कि परिपक्वता का परिचय देते हुए सैन्य बलों से जुड़े मुद्दों को राजनीति से अलग रखा जाना चाहिए। ऐसा मुद्दा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नहीं उठाया जाना चाहिए। इससे पहले कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि पूर्वोत्तर मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा विदेश एवं प्रवासी भारतीय मामलों के राज्य मंत्री वीके सिंह ने ट्विटर पर कुछ ऐसे वक्तव्य दिए जो सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर थे और ऐसा करना उचित नहीं है।
जेटली ने कहा कि पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने कुछ सप्ताह पहले ही अगले सेना अध्यक्ष की नियुक्ति की थी। उन्होंने कहा कि अगले सेना प्रमुख के पद पर दलबीर सिंह सुहाग की नियुक्ति का निर्णय अंतिम है और सरकार इस निर्णय का समर्थन करती है। सिंह को बर्खास्त किए जाने की मांग करते हुए शर्मा ने कहा कि यह परंपरा रही है कि सेना में नियुक्तियों को लेकर कोई राजनीति नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि एक मंत्री की ओर से इस तरह के वक्तव्य दिया जाना स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि वह (सिंह) मंत्री पद पर बने नहीं रह सकते और उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह साधारण नहीं बल्कि गंभीर मुद्दा है। उन्होंने कहा कि सदन के नेता को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या इस तरह सेना का मनोबल गिराया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने वीके सिंह के सेनाप्रमुख रहते दलबीर सुहाग पर हुई कार्रवाई को अदालत में एक हलफनामे में अवैध और पूर्वनियोजित बताया तो अब उसी सरकार में मंत्री वीके सिंह ने मनोनीत लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग पर ट्वीट के जरिये हमला बोला था। ट्वीट में वीके सिंह ने सुहाग के खिलाफ खुद की पुरानी कार्रवाई को जायज़ बताया है। ऐसे में सरकार और इसमें राज्यमंत्री वीके सिंह नए सेना प्रमुख की नियुक्ति पर अलग-अलग रुख अपनाए हुए हैं। रिटायर्ड जनरल वीके सिंह मोदी सरकार में पूर्वोत्तर भारत से जुड़े मामलों के राज्यमंत्री हैं। सिंह ने ट्विटर पर लिखा, यदि कोई यूनिट बेगुनाहों की हत्या करती है, लूटपाट करती है और उसके बाद संगठन का प्रमुख उन्हें बचाने का प्रयास करता है, तो क्या उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए? अपराधियों को खुला घूमने दिया जाए? रक्षा मंत्रालय ने लेफ्टिनेंट जनरल रवि दस्ताने से संबंधित पदोन्नति मामले में हाल में दायर एक हलफनामे में कहा है कि सुहाग के खिलाफ अनुशासनात्मक रोक के लिए जिन खामियों को आधार बनाया गया वे ‘जानबूझकर’, ‘अस्पष्ट’ और ‘अवैध’ थीं। पूर्व सेना प्रमुख की यह टिप्पणी उस खबर की पृष्ठभूमि में आई है कि लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सुहाग के नेतृत्व वाली एक यूनिट ने कथित तौर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र में हत्याएं और लूटपाट की थी।

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