खत्म हो सकती है 3 पार्टियों की राष्ट्रीय मान्यता

election-commission-of-indiaनई दिल्ली / भारत में जल्द ही सिर्फ तीन राष्ट्रीय पार्टियां बच सकती हैं। शरद पावर की अगुआई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) को राष्ट्रीय पार्टी के तमगे से वंचित किया जा सकता है। चुनाव आयोग ने इस मामले में तीनों पार्टियों को नोटिस जारी कर पूछा था कि लोकसभा चुनावों में हुई हार के बाद क्यों न नैशनल पार्टी का उनका स्टेटस छीन लिया जाए। चुनाव आयोग की तय शर्तों के मुताबिक, राष्ट्रीय पार्टी के स्टेटस के लिए किसी पार्टी को चार राज्यों में कम से कम 6 फीसदी वोट या तीन-चौथाई लोकसभा सीटों पर कम से कम 2 फीसदी वोट मिलने चाहिए। या फिर कम से कम चार राज्यों में राज्य की पार्टी के तौर पर उसकी मान्यता होनी चाहिए। एनसीपी, बीएसपी और सीपीआई अब इन शर्तों को पूरा नहीं कर रही हैं। चुनाव आयोग के पास आपत्ति जताने और सुनवाई के लिए तीनों पार्टियों के पास 27 जून तक का वक्त था। अगर इन पार्टियों से राष्ट्रीय पार्टी का टैग छीना जाता है, तो उसके बाद सिर्फ बीजेपी, कांग्रेस और सीपीआई (एम) ही राष्ट्रीय पार्टियों के रूप में बचेंगी।
सिंबल ऑर्डर 1968 के तहत अगर कोई दल राष्ट्रीय पार्टी का अपना दर्जा गंवा देता है तो उसके बाद उसके पास पूरे देश में एक ही चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं होता है। कहने का मतलब यह है कि अगर इस फैसले को लागू किया जाता है, नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के देश भर के सभी उम्मीदवार घड़ी चुनाव चिह्न पर चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
पार्टी इस चुनाव का इस्तेमाल उन राज्यों में ही कर पाएगी, जहां उसकी मान्यता स्टेट पार्टी के तौर पर है। यह कुछ-कुछ पार्टी का राष्ट्रीय चरित्र खोने जैसा मामला है। साथ ही, एनसीपी, बीएसपी और सीपीआई को चुनाव के मौके पर ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर प्रचार के लिए वक्त भी नहीं मिलेगा और चुनावी पर्चे की फ्री कॉपी भी इन पार्टियों को नहीं मिल पाएगी।

error: Content is protected !!