‘बीजेपी सरकार’ पर शीला के साथ आए दो कांग्रेस विधायक

sheelaनई दिल्ली / कांग्रेस के दो विधायक शीला दीक्षित के बयान के समर्थन में आ गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शीला ने दो दिन पहले कहा था कि दिल्ली में बीजेपी को सरकार बनाने का मौका मिलना चाहिए। कांग्रेस नेतृत्व ने इसे शीला का निजी बयान बताते हुए किनारा कर लिया था। कुछ नेताओं ने शीला दीक्षित को पार्टी से निलंबित करने तक मांग कर डाली थी। कांग्रेस के दो विधियाकों के ताजा रुख से दिल्ली की राजनीति की गुत्थी और उलझती दिख रहा है और सुप्रीम कोर्ट की 10 अक्टूबर की समयसीमा से पहले कुछ चौंकाना वाला हो सकता है।
सीलमपुर से विधायक मतीन अहमद और ओखला के विधायक आसिफ खान के साथ शुरू में चांदनी चौक के विधायक प्रह्लाद सिंह साहनी ने भी दीक्षित के बयान का समर्थन किया था, लेकिन बाद में शुक्रवार को वह ‘नो कॉमेंट’ की मुद्रा में आ गए। बीजेपी के सूत्र ने यह भी दावा किया है कि आम आदमी पार्टी (आप) के छह विधायक भी बीजेपी के संपर्क में हैं। मतीन अहमद ने कहा, ‘जो लोग शीला दीक्षित को कांग्रेस से निकालने की मांग कर रहे हैं, उन्हें मेरे ऊपर भी कार्रवाई करनी चाहिए। मैं उनके विचार का समर्थन कर रहा हूं, इसलिए मुझे भी पार्टी से निकाल दें।’ मतीन अहमद ने सवाल किया कि शीला के बयान में गलत क्या है? इससे आगे बढ़ते हुए सीलमपुर के विधायक ने कहा, ‘मैं भी महसूस करता हूं कि अगर बीजेपी सरकार बना सकती है, तो उसे जरूर बनाना चाहिए। कई महीनों से ऊहापोह की स्थिति है, यह साफ होना जरूरी है।’
ओखला के विधायक आसिफ ने भी कहा, ‘शीला ने जो कहा उसमें कुछ भी गलत नहीं है। अगर बीजेपी के पास संख्याबल है,तो उसे सरकार बनानी चाहिए।’ शीला के रुख का समर्थन करने वाले दोनों विधायकों ने यह साफ नहीं किया है कि वे बीजेपी को सरकार बनाने में मदद करेंगे या नहीं। हालांकि, शीला के बयान पर नेतृत्व ने जिस तरह की प्रतिक्रिया दी थी उसके बावजूद इस तरह के बयान के कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।
दिल्ली की 70 सदस्यों वाली विधानसभा में फिलहाल 67 विधायक हैं और तीन सीट बीजेपी विधायकों के सांसद बनने से खाली हैं। वर्तमान में उसके 29 विधायक हैं और बहुमत के लिए 5 और विधायकों का समर्थन चाहिए। रामवीर शौकीन और विनोद कुमार बिन्नी बीजेपी को समर्थन करने के संकेत दे चुके हैं। एक अन्य विधायक शोएब इकबाल का रुख अभी साफ नहीं है।
कांग्रेस को दोनों विधायकों के बयान इसलिए भी राजनीतिक रूप से अहम माने जा रहे हैं क्योंकि दोनों अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। कांग्रेस का ऐसे मौकों पर पारंपरिक रुख रहा है कि ‘सांप्रदायिक शक्तियों को हम किसी भी कीमत पर सरकार में नहीं आने देंगे।’ इन दोनों विधायकों के अलावा साहनी के विधानसभा क्षेत्र में भी मुस्लिम आबादी बड़े पैमाने पर है।
कांग्रेस के अंदर की खींचतान से खुश बीजेपी के एक नेता ने कहा कि ‘आप’ के छह विधायकों भी दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनवाने में मदद के लिए तैयार हैं। इस नेता ने तो अपना नाम सार्वजनिक न करने की शर्त रखी थी, लेकिन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय को सार्वजनिक रूप से खुशी जताने में परहेज नहीं है। उन्होंने कहा, ‘हम तो लगातार कह रहे हैं कि किसी भी पार्टी का कोई भी विधायक दिल्ली में फिर से चुनाव नहीं चाहता। शीला दीक्षित ने जो कुछ भी कहा वह उनके अनुभव के आधार पर था। हमारे वैचारिक मतभेद हैं, लेकिन उन्होंने जो कहा उसका हम आदर करते हैं। अगर कांग्रेस के विधायक उनसे सहमत हैं, तो यह राज्य के लिए अच्छा है।’

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