दमोह नगर में संचालित हो रही अवैध दूध डेरियां

सरोवरों सहित गलियों मैं फैल रही गंदगी
जानवरों द्वारा सड़कों पर धमाचौकड़ी
जिला प्रशासन सहित संबंधित विभाग खामोश
115-डॉ. एल. एन. वैष्णव– दमोह /  इसे नगर की जनता का दुर्भाग्य कहें या फिर अधिकारी कर्मचारियों की लापरवाही या फिर जनप्रतिनिधियों की अनदेखी समझ में नहीं आता कि एक दो नहीं अपितु अनेक समस्याओं से नगर के लोग जुझते दिखलायी देते हैं और जिनके कंधों पर इनको दूर करने की जिम्मेदारी है वह धृतराष्ट बने हुये हैं? अगर इस बात में सच्चाई नहीं है तो फिर आखिर इस प्रकार की समस्यायें इनको दिखलायी क्यों नहीं देती है? हम आपके सामने एक एक एैसी समस्या को सामने रखने जा रहे हैं जिनसे दो चार प्रतिदिन एक दो नहीं अपितु हजारों लोगों को होना पडता है परन्तु जिनके कंधों पर जिम्मेदारी है इसको हल करने का वह अंधे बहरे और गूंगे बने हुये हैं एैसी जन चर्चा अब होना अब आम बात हो गयी है। मित्रो हम नगर की बडी समस्याओं में से एक को सामने रखते हुये शासन प्रशासन को आईना दिखाने के साथ ही अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं। हालांकि यह बात भी सच है कि हम अंधे बहरे एवं गूंगों का आईना दिखलाने एवं बेचने का कार्य कर रहे है इस उम्मीद के साथ की हो सकता है इनको अपने उत्तरदायित्वों की याद आ जाये और समस्याओं का निदान हो जाये? अंधेर नगरी चौपट राजा के इस क्षेत्र में क्या-क्या हो रहा है किसी से छिपा तो है नहीं?
हम बात कर रहे है नगर में संचालित अवैध दूध डेरियों की जिनकी तादाद एक दो नहीं अपितु छोटी बडी सब मिलाकर लगभग पांच छै दर्जन के करीब बतलायी जाती है। जिनके संचालन से जहां एक और क्षेत्र में गंदगी फैल रही है तो वहीं दूसरी ओर इनके जानवरों की धमाचौकडी से नागरिकों को काफी परेशानी का सामना करना पडता है।
सरोवरों को गंदा-
उक्त अवैध रूप से संचालित दूध डेरियों के जानवरों के द्वारा नगर के सरोवरों के जल को किस प्रकार दूषित किया जाता है सब जानते हैं। मध्यप्रदेश शासन के जल संशाधन एवं वित्त मंत्री जयंत मलैया का शहर किस प्रकार लम्बे अरसे जल संकट से जूझ रहा है किसको नहीं मालूम वहीं नगर के सरोवरों के जल को गंदा करने का कार्य दूध डेरी संचालकों के जानवरों के द्वारा किया जाना तथा अधिकारियों की अनदेखी से क्या यह सिद्ध नहीं होता कि उनको इस बात की चिंता नहीं है? दूषित और गंदा जल कितनी प्रकार की बीमारियों को लेकर मनुष्यों को अपनी चपेट में ले रहा होगा? दूध डेरी संचालकों द्वारा अनेक बार सरोवरों की बाउन्ड्री वाल को छतिग्रस्त कर पशुओं को सरोवर में आने जाने का मार्ग प्रशस्त करने खबरें आती ही रहती हैं?
यातायात बाधित-
प्रतिदिन सडकों पर इन दूध डेरियों के जानवरों का धमाचौकडी मचाते हुये यातायात को बाधित करना क्या इन अधिकारी कर्मचारियों को दिखलायी नहीं देता? एक दो नहीं अपितु सैकडों की तादाद में भैंसे सडकों पर अपना कब्जा जमाये यातायात को बाधित तो करती हैं साथ ही अनेक लोगों को दुर्घटना का शिकार होने की खबरें आती रहती हैं। शायद ही एैसा कोई मार्ग हो जहां दूध डेरियों के जानवर भैंसे न दिखलायी देती हों? परन्तु इस बात की चिंता न तो अधिकारियों को दिखलायी देती है और न ही जनप्रतिनिधियों को जनता परेशान हो तो हो इनको क्या पडी?
बिना चाबी का गुड्डा-
मैँ वह व्यक्ति नहीं हुं कि जितनी चाबी भर दी गयी है उतना ही चाबी वाले गुड्डे की तरह चलूं? में तो यह चेतावनी देता हुं कि सब चेत जायें जो कुछ होगा मेरी मर्जी से होगा जी हां एैसे ही कुछ शब्द थे अपने अभिनंदन समारोह के दौरान विजयश्री के बाद बकौली चौराहे की सभा में नगर पालिका अध्यक्ष मनु मिश्रा के पांच बर्ष व्यतीत हो चुके हैं क्या हुआ जनचर्चा में जमकर बना हुआ है?
कलेक्टर कमिश्रर के वाहन भी रोके-
दूध डेरी के जानवरों द्वारा गत कुछ माह पूर्व तत्कालीन कमिश्नर श्री माथुर एवं कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह के वाहन को भी रोक लिया था। जिसके चलते उनको बेलाताल तिराहा पर काफी मशक्कत करनी पडी थी निकलने के लिये।
गंाधी समाधी भी तबेला बनी- 
महात्मा गांधी चौक को भी आप भैंसों के तबेले के रूप में देख सकते हैं प्रात: के समय के कुछ घंटों के लिये इसके चारों ओर डेरी संचालक भैंसों को बांध अपना व्यवसाय करते रहते हैं। ज्ञात हो कि गांधी चौक शहर एवं बाजार के मध्य स्थित है।
क्या कहते हैं जानकार-
कानून के जानकारों की माने तो दूध डेरियों का संचालन नगर के अंदर नहीं किया जा सकता है। इनके संचालन के करने के लिये नगर पालिका,नगर निगम ने कुछ नियम बना रखे हैं जिसके अनुसार उनका पंजीयन तथा निर्धारित मापदण्ड का पालन करना अनिवार्य होता है। उलंघन करने के लिये दण्ड का प्रावधान भी रखा गया है। वहीं कलेक्टर को इस मामले में विशेषाधिकार प्राप्त हैं जिसका उपयोग करते हुये तत्कालीन कलेक्टर संदीप सक्सेना ने समस्त दूध डेरियों को नगर की सीमा से बाहर करने के निर्देश दिये थे। स्थानांतरण होने के बाद आज तक जो भी कलेक्टर आये शायद उनको अधिकार का स्मरण नहीं हो पा रहा है? ज्ञात हो कि वर्तमान में स्वतंत्र कुमार सिंह कलेक्टर के पद पर दमोह में सेवायें दे रहे हैं।

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