यासिर चिकित्सक बनने चाईना पहुंचे
दमोह / बुंदेखण्ड में एक कहावत बहुत ज्यादा चर्चित है जिसमें कहा जाता है कि होनहार बिरवान के होत चीकने पात अर्थात् अच्छे एवं फल देने वाले वृक्ष के जो पत्ते होते हैं वह चिकने तथा सुंदर होते ही है। इस कहावत को अक्सर उनके लिये कहा जाता है जिनका स्वयं का तो समाज राष्ट्र में योगदान होता ही है साथ ही उनके पुत्रों का भी इस दिशा में कार्य करने में बढते हुये कदम दिखलायी दे रहे हों। जी हां उक्त कहावत को चरितार्थ करते हुये दिखलायी दे रहे हैं यासिर अहमद कुरैशी 18 बर्षीय यह बालक चिकित्सक बनने के लिये चाईना पहुंच चुका है। चाईना के प्रसिद्ध नार्मन बेथ्यून कॉलेज ऑफ मेडिकल जिलिन यूनिवर्सिटी में यासिर अध्यन करने के लिये पहुंच चुके हैं। प्रदेश के नैनपुर में पैदा हुये इस बालक के बारे प्राप्त जानकारी के अनुसार वह बचपन से ही देश विदेश के समसामयिक विषयों पर चिंतन करता ही था साथ ही उसकी रूची चिकित्सक बनने की दिशा में ज्यादा रही। विदेश जाने के पूर्व एक चर्चा के दौरान यासिर ने कहा कि देश में मातृ शिशु मृत्यू दर काफी अधिक होने की जानकारी आये दिन आती रहती है। भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार का लगातार प्रयास इसमें कमी लाने का तो है ही परन्तु हम नागरिकों का भी कुछ कर्तव्य बनता है जिसको पूरा करने के उद्ेश्य को लेकर मेरा लक्ष्य शिशु रोग चिकित्सक बनने का है। वह एक प्रश्न के उत्तर में कहते हैं कि उनका लक्ष्य मानवों उन बच्चों की रूग्ण्ता को दूर करने की है जो ज्यादा पैसे खर्च नहीं कर सकते हैं इसलिये मेरा संकल्प है कि जब में चिकित्सक बनने के भारत माता की सेवा के लिये लौटूंगा तब कम से कम फीस लेकर सेवा करना चाहुंगा। उत्साह एवं आत्मविश्वास से भरे यासिर कहते हैं कि मेरे ग्राम,प्रदेश ,देश एवं परिवार का नाम रौशन हो यह संकल्प मेरा है। ज्ञात हो कि यासिर मध्यप्रदेश के नैनपुर जैसे छोटे से नगर के समीप ग्राम इटका निवासी तथा सेवानिवृत रेल्वे अधिकारी स्व.बाबा आईए कुरैशी के पौत्र तथा दमोह में पदस्थ जनसंपर्क अधिकारी वाईए कुरैशी के पुत्र हैं। विदित हो कि भारत से 34 छात्र-छात्राओं का चयन हुआ है जिसमें से मध्यप्रदेश के दो छात्र है जिनमें यासिर अहमद एक है।
Dr.Laxmi Narayan Vaishnava