राष्ट्रीय महिला आयोग को गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं

vidhiनई दिल्ली / राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) को महिलाओं का उत्पीड़न करने के दोषी और समन को नजरअंदाज करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं मिला। विधि मंत्रालय ने आयोग को गिरफ्तार करने और सजा देने की शक्ति प्रदान करने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। विधि मंत्रालय ने आयोग की अध्यक्ष और सदस्यों के लिए दो अलग अलग चयन समितियां होने पर भी सवाल खड़े किए। सूत्रों ने कहा कि विधि मंत्रालय का नजरिया है कि आयोग को गिरफ्तार करने और सजा देने की शक्तियां नहीं दी जा सकतीं क्योंकि यह पुलिस तथा न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार में आता है। विधि मंत्रालय ने यह भी कहा कि आयोग की अध्यक्ष और अन्य सदस्यों के चयन के लिए एक ही चयन समिति पर्याप्त है। आयोग को ज्यादा मजबूत बनाने के प्रयास में, महिला एवं बाल विकास (डब्ल्यूसीडी) मंत्रालय की योजना है कि राष्ट्रीय महिला आयोग को महिलाओं  के उत्पीड़न और हिंसा के मामलों से निपटने के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के बराबर शक्तिशाली बनाया जाए। मंत्रालय के प्रस्ताव के अनुसार, महिला आयोग के समन नजरअंदाज करने वाले लोगों को जेल में डाला जा सकता है। डब्ल्यूसीडी मंत्रालय चाहता है कि महिला आयोग असरदार संस्था बने ताकि यह जेल भेजने की सिफारिश कर सके और मामलों को अदालत भेज सके।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 के अध्याय तीन के अनुसार, आयोग के पास संविधान तथा अन्य कानूनों के तहत महिलाओं को सुरक्षा मुहैया कराने से जुड़े सभी मामलों में जांच करने का अधिकार है। आयोग को महिलाओं की सुरक्षा को असरदार तरीके से लागू करने के  लिए सिफारिश करने का भी अधिकार है। आयोग महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित, महिला संरक्षण देने वाले कानूनों के लागू नहीं होने की खबरों पर और समानता तथा विकास का उद्देश्य हासिल करने के लिए स्वत: संज्ञान लेने के लिए स्वतंत्र है।

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