हरियाणा में पहली बार भाजपा सरकार

bjp logoचंडीगढ़। हरियाणा में पहली बार भाजपा की सरकार बनेगी। पार्टी ने अकेले दम कांग्रेस और इनेलो को हाशिए पर ला दिया है। परिवर्तन की इस लहर में जहां कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ है, वहीं इनेलो की भी सत्‍ता से दूरी बरकरार रही है।  90 सदस्‍यीय विधानसभा में 2005 में दो और 2009 में मात्र 4 सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार सीधे 48 सीटें ले गई। इसे मोदी का असर ही कहा जा सकता है। अगर प्रदेश में आरएसएस का आधार होता तो वह 2005 और 2009 के चुनावों में दिखता।

इनेलो नेता टीचर भर्ती घोटाले में सजा होने के बाद जेल गए। कांग्रेस पर विकास में भेदभाव के आरोप लगे। राबर्ट वाड्रा डीएलएफ जमीन सौदों में अनियमितता के आरोप लगे। आईएएस अधिकारी अशोक खेमका और प्रदीप कासनी ने भी लगातार सरकार पर आरोप लगाए। इस वजह से कांग्रेस के सामने विश्‍वसनीयता का संकट था। मोदी ने इस स्थिति का पूरा फायदा उठाया। उन्‍होंने प्रदेश के हर वर्ग को अपने साथ जोडऩे की कोशिश की। बीरेंद्र चौधरी को साथ जोड़ कर जाटों में पकड़ बनाई।

बीजेपी की जीत और कांग्रेस की हार के बड़े कारण?
  • जाट बहुल इलाकों में भाजपा ने सेंध लगाई।
  • चुनाव से दो दिन पहले डेरा सच्चा सौदा ने भाजपा को समर्थन देने की घोषणा की।
  • सीएम हुड्डा के विरोध में कांग्रेस के दिग्गजों ने चुनावों से पहले छोड़ा साथ। इनमें चौधरी बीरेंद्र सिंह, विनोद शर्मा, अरविंद शर्मा और अवतार सिंह भडाना प्रमुख हैं। कुमारी सैलजा का विरोध भी कांग्रेस को भारी पड़ा।
  • मोदी द्वारा दिए गए परिवारवाद की राजनीति खत्म करने के नारे ने युवा वोटरों को भाजपा से जोड़ा।
  • दलितों व महिलाओं के उत्पीड़न के मुद्दे को भुनाने में कामयाब रही भाजपा।
  • कांग्रेस ने हुड्डा के नेतृ्त्व में चुनाव लड़ा, जबकि बीजेपी ने कोई सीएम कैंडिडेट पेश नहीं किया।
  • जनता के अलावा, हुड्डा पर उनकी पार्टी के ही बड़े नेताओं ने आरोप लगाए कि विकास कार्य पूरे प्रदेश में न होकर केवल सीएम हुड्डा व उनके बेटे दीपेंद्र के गृह क्षेत्र रोहतक में हुए हैं।
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