महाराष्ट्र की राजनीति नई करवट ले रही है। विधानसभा चुनावों के नतीजों से साफ है कि महाराष्ट्र में किसी भी पार्टी को सराकार बनाने के लिए बहुमत नहीं मिला है। बीजेपी अब तक 144 सीटों तक अपनी पहुंच नहीं बना पाई है। इस बीच बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि बीजेपी और शिव सेना को साथ मिलकर सरकार बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियां मिलकर सरकार बनाती हैं तो मुझे प्रसन्नता होगी। इन कयासों के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने यह कहकर नया मोड़ ला दिया कि वह बीजेपी को प्रदेश में सरकार बनाने के लिए बाहर से समर्थन देने को तैयार है। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि हमारी पार्टी बीजेपी को प्रदेश में सरकार बनाने के लिए बिना शर्त बाहर से समर्थन देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि हम महाराष्ट्र में विकास के लिए स्थायी सरकार चाहते हैं, इसलिए हमने यह फैसला किया है। एनसीपी की पेशकश पर बीजेपी चीफ अमित शाह ने कहा, ‘प्रफुल्ल पटेल जी ने कहा है कि बीजेपी प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी बनी है और एनसीपी महाराष्ट्र के विकास के लिए स्थायी सरकार चाहती है। ऐसे में हमने फैसला किया है कि बीजेपी को बाहर से बिना शर्त समर्थन देंगे।’ शाह ने कहा कि यह लोकतंत्र का तकाजा है कि सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का मौका मिलता है और प्रफुल्ल जी का बयान इसी का समर्थन है। बीजेपी अभी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की पेशकश पर कुछ भी खुलकर नहीं बोल रही है। बीजेपी ने औपचारिक रूप से अभी किसी भी पार्टी से समर्थन नहीं मांगा है। ऐसे में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की पेशकश बीजेपी की स्वाभाविक सहयोगी शिव सेना की रणनीति पर क्या असर डालेगी? दूसरा बड़ा सवाल यह है कि बीजेपी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से क्या समर्थन लेने के लिए तैयार हो जाएगी? वह भी तब जब आडवाणी खुलकर कह रहे हैं कि शिव सेना और बीजेपी को सरकार बनानी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी महाराष्ट्र में चुनावी कैंपेन के दौरान एनसीपी पर पूरे तेवर के साथ हमलावर रहे थे। उन्होंने यहां तक कहा था कि एनसीपी राष्ट्रवादी नहीं भ्रष्टाचारवादी है। ऐसे में एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाने पर बीजेपी क्या बैकफुट पर आ जाएगी?