संतोष गंगेले के 59 वें जन्म दिवस पर दलित बच्चें को लियां गोद

युवावर्ग के लिए नजीर, अपनी कार्य कुषलता से तय किया संतोष गंगबेले ने कर्मयोगी का रास्ता

संतोष गंगेले
संतोष गंगेले

-कौषल किषोर रिछारिया- कर्म के व्दारा भाग्य बदलने वालों के लिए असंभव षव्द को स्थान नही मिलता है । कर्म के व्दारा ही भाग्य बदला जा सकता है । कर्म की प्रधानता ही सर्वोपरि है । कर्म के साथ- साथ, सत्य व धर्म के रास्ते पर चल कर समाज में उच्च स्थान प्राप्त करने वाले लोग बर्तमान में कम ही है, इस बर्तमान समय में समाजसेवा के लिए समर्पित भाव से कार्य करने वालें व्यक्ति समाज में संदेह की दृष्टि से देंखे जा रहे है । आखिर इस संसार के लोगों ने अपनी भारतीय संस्कृति, संस्कार, प्रथायें, परम्परायें क्यों छोड़ दी है ? इस का जबाब कम लोगों के पास ही मिलता है । लेकिन इस सृष्टि के निमार्ण से बर्तमान व भविष्य में कभी भी धर्म व सत्य पराजय नही हुआ है । परेषान हुआ, लेकिन सत्य की बिजय होती है । इसलिए गणेषषंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब प्रदेष अध्यक्ष संतोष गंगेले ने अपने 59 वें जन्म दिवस पर दलित बच्चें को लेगें गोद लेकर उसकी षिक्षा का भार स्वयं की मेहनत की कमाई से उठाने का बचन दिया साथ ही एक बृध्द दंपत्ति को एक साल तक भोजन व वस्त्र देकर समाज में नजीर पैष की है । तहसील स्तर से जिला, संभाग एवं प्रदेष स्तर पर अनेक पत्रकार सम्मेलन कराने वाले बरिष्ठ पत्रकार संतोष गंगेले की अपनी अलग पहचान बन चुकी है । मध्य प्रदेष में गणेषषंकर विद्यार्भी प्रेस क्लब संगठन के संस्थापक अध्यक्ष होने के बाद भी वह आम पत्रकारों की भॉति अपनी लेखनी चला रहे है ।
वर्तमान युग के युवाओं को नजीर के रूप में समाज के बीच कार्य करते आ रहे संतोष गंगेले आज किसी को अपना परिचय देने के लिए मौहताज नही है । एक छोटे से ग्राम बीरपुरा (छतरपुर म0प्र0) के किसान, परिवार जो जुझौतिया ब्राम्हण परिवार में 11 दिसम्बर 1956 को उनका जन्म हुआ । बचपन से ही आर्थिक मुष्बितों के बीच संघर्ष करते हुऐ प्राथमिक पाठषाला का बीरपुरा में ही अध्ययन कर आगे की षिक्षा ं नौगॉव से संचालित करने में नगर के अनेक व्यापारियों, समाजसेवी लोगों की मदद से की । कक्षा 8 वी उत्तीर्ण करने के बाद आर्मी कालेज में दो बर्षो तक चोकीदारी के पद पर कार्य करते हुऐ प्राइवेट अध्ययन करने का होसला कम नही हुआ । धन संग्रह करने की लालसा में देष की राजधानी दिल्ली में भी मेहनत मजदूरी करते हुऐ सन् 1980 में हायर सकेण्ड्री की परीक्षा उत्तीर्ण करते हुये कस्बा में चाय पान की दुकान का संचालन कर अपने जीवन के साथ साथ अपने भाई बहनों एव परिवार के लोगों को प्रगति के पथ पर लाने का प्रयास जारी रखा । बापू महाविद्यालय नौगॉव में प्रवेष के लेते ही अनेक सामाजिक संगठनों के माध्यम से समाजसेवाी , खेंल-कूूॅद, पत्रकारिता, भाषण प्रतियोगिताओ में भाग लिया, मंच के कलाकार होने के कारण जन जन में अपनी पहचान बना चुके संतोष गंगेले ने सामाजिक क्षेत्र में एक कर्मठ व योग्य पत्रकारिता में स्थान बनाया । हिन्दू टंकण प्रतियोगिता में भी प्रमाण पत्र लेकर न्यायालय नौगॉव में बार टाइपिस्ट के रूप में कार्य किया तथा बी0ए0 डिग्री भी प्राप्त कर चुके है । पत्रकारिता में निखार लाने के लिए संतोष गंगेले ने भारतीय इतिहास में 14 जनवरी 1986 को एक पत्रकार षपथ ग्रहण समारोह आयोजित कराया जिसमें जिला जज एवं स़त्र न्यायाधीष श्री एम एस कुरैषी ने भाग लेकर कहा था कि यह पहिला अवसर है जब किसी पत्रकार संघ ने भी न्यायपालिका के समक्ष षपथ ग्रहण की हो । उसी समय से संतोष गंगेले की लोकप्रियता एवं कार्यप्राणाली से राजनेताओं में खलबली मची जिस कारण उन्हे एक मामलें में कानून के षिकंजें में जाना पड़ा । सन् 1985 में बैबाहिक रिष्ते कायम हुए । अनेको वार आकाषवाणी और स्थानीय चैनल उनके विचारों को स्थान दे चुके है । मंच के वक्ता, संचालनकर्ता, सामाजिक कार्य कर्ता समाजसेवी नागरिकों में गिने जाते है ।
बुन्देलखण्ड के प्रतिताओं के धनी संतोष गंगेले सभी जाति व धर्मो को समरसता के साथ सम्मान देते आ रहे है । उन्होने हज जाने वाले यात्रियों का यदि अपने निवास पर स्वागत व सम्मान किया तो चारों धाम की यात्रा पर जाने वालो को भी स्वागत व सम्मान किया, गिरजा धरों में प्रभु यीषू की प्रार्थना करते है वही गुरू नानक साहब के जयन्ती पर सिख बन्धुओं पर फूलों की बर्षा करने में भी पीछे नही रहते है । जहां तक हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार दीवाली को वह सबसे पहिले एक दलित कन्या को नये बस्त्रों को दान कर उसके यहां दीपक जलाते है फिर अपने घर दीवाली मनाते है । समाज में सामाजिक समरसता के लिए अनेक सालों से प्रयासरत होकर महापुरूषों की जयन्ती य निवारण दिवस पर आयोजन कर संस्कारवान होने का साबूत देते रहते है । अपने कर्म क्षेत्र दस्तावेज लेखक के रूप में अनेक सालों तक रिकार्ड तोड़ इतिहास बनाने वाले संतोष गंगेले नौगॉव जनपद क्षेत्र के प्रत्येक ग्रामों में कई वार जनता के बीच जाकर अपनी बात रखते है । घर परिवार व समाज के कार्यो के बीच समय निकाल कर दस सात सालों से प्राथमिक पाठषालाओं, से लेकर हायर सेकेण्ड्री के बच्चों के बीच जाकर बाल सभाओं के माध्यम से बच्चों की प्रतिभाओं को निखारकर उन्हे संस्कारवान बनाने का प्रयास लगातार जारी है । सामाजिक क्षेत्र में अनेक अभिनव पहल कर समाज को नई दिषा देने वाले संतोष गंगेले को आज हर स्थान पर मान सम्मान मिल रहा है । सत्य का साथ निभाने वाले संतोष गंगेले महापुरूषों के जीवन पर आधार अपना जीवन जीने का प्रयास कर रहे है । बुन्देलखण्ड विकास मंच नई दिल्ली ने आजाद भवन दिल्ली में बुन्देलखण्ड के निर्भीक, कर्तव्य निष्ठ पत्रकारिता के लिए 1 जुलाई 14 को सम्मानित किया । जिसमें केन्द्रीय मंत्री सुश्री उमा भारती, पूर्व मंत्री श्री आदित्य जैन, श्री अषोक रिछारिया ने सम्मान दिया । राजगढ़ व्यावरा भोपाल में सामाजिक समरसता को सम्मान जीरापुर में सम्मानित किया गया ।
छतरपुर जिला की पत्रकारिता में अच्छा खासा दखल रखने वाले संतोष गंगेले अनेक जिला पत्रकार सम्मेलन करा चुके है, बुन्देलखण्ड के पत्रकारों को एकत्रित करने के लिए उन्हेाने अनेक प्रयास किए है । अनेकोवार मोत को निकल से देखने के बाद भी वह कभी अपने कर्तव्यों से बिचलित नही हुए । बर्तमान में गणेषषंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब संगठन के माध्यम से दो बर्षो से लगातार वह मध्य प्रदेष के हजारों हजारेां पत्रकारों से अपना सम्पर्क स्थापित कर देष की पत्रकारिता को कलंकित होने से बचाते चले आ रहे है । अनेको वार उनका सम्मान होने के बाद भी वह अपने में अहंम व घमण्ड को स्थान नही देते है । उनसे एक बार मिलने वाला व्यक्ति उनका मुरीद हो जाता है । यहीं उनकी सफलता का राज है । जीरो से हीरो बनने वाले संतोष गंगेले अपनी प्रगति के लिए अपने संयम व नियम को स्थान देते है । उनकी ख्याती, प्रगति लगातार मध्य प्रदेष के विभिन्न जिला तक पहुॅच रही है । संतोष गंगेले एक नजीर के रूप में आम जन उदाहरण देते है । चरित्र निमार्ण एवं कर्मयोगी की परिभाषा का पाठ संतोष गंगेले ने पढ़ा है ।
ऐसे कर्मयोगी व्यक्ति ने अपने जीवन के 58 बसंत पूरे संघंषेा के साथ पूरे करते हुए , अपना सम्पूर्ण जीवन पत्रकारिता, साहित्यकारों एवं समाज के नीचे व अनाथ तकवे के लोगों के बीच गुजारने का सकल्प लिया है । पिछले दिनों दो दलित बच्चों को एक साल तक अध्ययन करायेगें तथा उन्हे बस्त्र दान करेगें । उन्होने अपने संदेष में कहा कि बर्तमान समय भौतिकवादी युग है इस युग में युवावर्ग अपने माता-पिता के सुझाव व बचनों को स्थान नही देते हैं । दोस्तो पर ज्यादा भरोसा करते है इसलिए वह अपने जीवन का पतन करते है, परेषानियों एवं मुष्बितों से जुझने का कारण भी अपने से बड़ों की बात पर ध्यान नही देते हैं उनका अपमान ही उनके विनाष का कारण बन रहा है । व्यक्ति को अपने जीवन में नियम व संयम का पालन करना चाहिए ।
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श्री संतोष गंगेले प्रदेषाध्यक्ष-गणेषषंकर विद्यार्थी मध्य प्रदेष को बधाई दे सकते हे।
फेसबुक या व्हाटस अप पर उन्हे मित्र बना सकते है ।
साथ ही यदि उनसे जुड़ना चाहे तो उनका सम्पर्क नं0 09893196874

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