मृत्यु से संघर्ष कर रही श्रीहरि वृद्धाश्रम की अज्ञात विकलांग वृद्धा दिवंगत

vidisha samachar 02विदिषा। श्री हरि वृद्धाश्रम में निवासरत लगभग 80 वर्षीय वृद्धा रामकली बाई का आज जिला चिकित्सालय में चिकित्सा के दौरान दुखद निधन हो गया। वे गंभीर रूप से अस्वस्थ होने के कारण 16 दिसम्बर से जिला चिकित्सालय में भर्ती थीं, लेकिन चिकित्सकों तथा स्टॉफ के सभी प्रयासों और गहन चिकित्सा के बाद भी उन्होंने जीवन से हार मानकर स्वाभाविक मृत्यू का वरण कर लिया। वृद्धाश्रम संचालिका श्रीमती इन्दिरा शर्मा ने उनकी दुखद मृत्यू की सूचना एसपी, एसडीएम, उपसंचालक सामाजिक न्यास, सीएसपी, थाना प्रभारी, सिविल लाइन थाना तथा थाना प्रभारी कोतवाली विदिषा को तत्काल देते हुए दिवंगत रामकली बाई के हिन्दू रीति-रिवाज के अनुसार अंतिम संस्कार की अनुमति मांगी है। वृद्धाश्रम के सहयोगियों द्वारा उनकी अंत्येष्टि की जाएगी।
स्मरणीय है कि नगर के कुछ सेवाभावी बुद्धिजीवी युवकों को विगत 4 दिसम्बर को नगर में लगभग 80 वर्षीय एक भयाक्रांत अज्ञात विकलांग वृद्धा भटकती मिली। उन युवकों ने उसे उसी दिन कोतवाली पुलिस की अनुमति से श्रीहरि वृद्धाश्रम में भर्ती कराया था। इस वृद्धा की दयनीय दुर्दषा का सचित्र समाचार विभिन्न समाचार-पत्रों में व्यापक रूप से अगले दिवस ही प्रकाषित होने के बाद भी उस वृद्धा का कोई परिजन वृद्धाश्रम नहीं आया। परिजनों ने चाहे उसकी कोई सुधि नहीं ली, पर वृद्धा ने तत्काल वृद्धाश्रम को अपना घर बना लिया और वो वहां आराम से रहने भी लगी, परन्तु वृद्धाश्रम की सभी विषेष सुविधाओं की सुलभता के बाद भी उसकी अति वयोवृद्धावस्था, अस्वस्थता तथा विकलांगता ने उसे विगत दिवस गंभीर रूप से बीमार कर दिया।
श्रीहरि वृद्धाश्रम सेवा समिति की अध्यक्षा श्रीमती इन्दिरा शर्मा के अनुसार वृद्धा के परिजनों की अनुपस्थिति के कारण वृद्धा नियमित दैनिक उपचार के बाद भी मानसिक तथा शारीरिक रूप से भी पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो पा रही थी। अपने चार पुत्रों तथा भरे-पूरे परिवार की चर्चा व चिंता करते हुए वह 16 दिसम्बर को अचानक गंभीर रूप से बीमार हो गई। परिणामस्वरूप श्रीमती इन्दिरा शर्मा, वेदप्रकाष शर्मा तथा उनके सहयोगियों द्वारा उसे गोद में उठाकर आश्रम के बाहर लाकर एक निजी वाहन से तत्काल जिला चिकित्सालय पहुंचाया गया। चिकित्सकों ने भी उसे तुरन्त भर्ती कर अविलम्ब चिकित्सा प्रारंभ की, पर उसे सर्वोत्तम चिकित्सा से भी स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल रहा था और वह लगातार लगभग बेसुध चल रही थी। चिकित्सालय में उसकी स्थिति इतनी गंभीर थी कि वह ना किसी को पहचान पा रहा थी और ना कुछ बोल पा रही थी। बस, अपने बेड पर पड़ी अंतिम सांसें गिनती प्रतीत होती थी। इसके बावजूद वृद्धाश्रम उसकी सेवा-सुश्रूषा करते हुए चिकित्सा से चमत्कारी लाभ की आषा लगाए हुए थे।
श्रीमती इन्दिरा शर्मा के अनुसार इस वृद्धा ने अपना नाम रामकली बाई बताया है तथा उसका दाहिना हाथ कोहनी के पास से कटा हुआ था, क्योंकि वृद्धा के अनुसार काफी पहले जब वह अपने घर थी, तब उसे किसी सांप ने उस हाथ में काट लिया था, जिससे हाथ के सड़ने पर उसे कटवाना पड़ा था। इस वृद्धा की भाषा तथा बोलचाल से वह मालवा क्षेत्र के किसी स्थान की निवासी प्रतीत होती थी। ऐसा लगता है कि उसकी अंतिम आषा अपने बेटों, परिजनों से मिलने की ही रही है, पर उसके परिजन तो इतने निष्ठुर हैं कि अब तक उसकी किसी ने सुधि तक नहीं ली और वह चिकित्सकों तथा समाजसेवियों की सेवा में ही अपना अंतिम समय व्यतीत करने विवष रही।

वेदप्रकाश शर्मा

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