मोदी के नाम वाले सूट की नीलामी गैरकानूनी?

modiनई दिल्ली / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जनवरी को ‘नरेंद्र दामोदरदास मोदी’ लिखा हुआ जो सूट पहना था, उसकी बोली गुरुवार को 1.41 करोड़ तक पहुंच गई। भावनगर में लीला ग्रुप के सीएमडी कोमल कांत शर्मा ने पीएम मोदी के धारीदार सूट के लिए अब तक की सबसे ज्यादा 1.41 करोड़ की बोली लगाई है। लेकिन सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या सूट की नीलामी गैरकानूनी है? ऐसा इसलिए क्‍योंकि मंत्रियों के लिए बने कोड ऑफ कंडक्‍ट के तहत नीलामी के लिए तोषाखाना (जहां सरकारी तोहफे जमा कराए जाते हैं) की इजाजत लिया जाना जरूरी है। अभी यह भी साफ नहीं है कि मोदी ने यह तोहफा तोषाखाना में जमा कराया भी था या नहीं और जमा कराया था तो फिर क्‍या कीमत वसूल कर उसे खरीदा था? पीएमओ की ओर से इस बारे में कुछ नहीं कहा गया है।
ऑफ कंडक्‍ट का उल्‍लंघन?
केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मंत्रियों (केंद्रीय या राज्य) के लिए जारी ‘कोड ऑफ कंडक्ट’ के क्लॉज 4.1 के मुताबिक, ‘ मंत्री को अपने रिश्तेदारों, परिवार के सदस्यों के अलावा किसी अन्य से महंगा गिफ्ट नहीं लेना चाहिए। उसे ऐसे व्यक्ति से गिफ्ट नहीं स्वीकारना चाहिए जिसके साथ कभी ऑफिशियल डीलिंग्स हो सकती है।’
कीमत अदा कर ही गिफ्ट अपने पास रख सकते हैं मंत्री
कोड ऑफ कंडक्ट के क्लॉज 4.2 के मुताबिक प्रधानमंत्री या उनके साथी मंत्री केवल विदेश यात्रा के दौरान या फिर विदेशी मेहमानों से मिले गिफ्ट ही स्वीकार सकते हैं। वे गिफ्ट भी दो श्रेणी के होते हैं। एक तो ऐसे तोहफे जो प्रतीकात्मक होते हैं, जैसे कि सम्मान में दी जाने वाली तलवार, शॉल, स्मृति चिन्ह, प्रतिमाएं आदि। इस तरह के गिफ्ट मंत्री अपने पास रख सकते हैं।
दूसरी श्रेणी में ऐसे तोहफे आते हैं जो प्रतीकात्मक नहीं होते। इस श्रेणी में मिलने वाले तोहफों की कीमत पांच हजार रुपए से ज्यादा है तो उसे मंत्री को तोषाखाने में जमा कराना पड़ता है। संबंधित मंत्री बाद में अगर वह गिफ्ट अपने पास रखना चाहता है तो उसे कीमत चुकानी होती है। तोहफे की कीमत जितनी आंकी जाती है, उसमें पांच हजार रुपए मायनस कर बाकी रकम चुकाने के बाद तोषाखाने से वह गिफ्ट खरीदा जा सकता है।
घर में प्रयोग में लाए जाने वाले सामान के अलावा कारपेट, पेंटिंग्स, फर्नीचर आदि तोषाखाने में ही पड़े रहते हैं। बाद में तोषाखाना इन सामान को राष्ट्रपति भवन, पीएम आवास या राज्य भवनों में बतौर सरकारी संपत्ति भेज देता है। तोषाखाना विदेश मंत्रालय के तहत काम करता है।
पीएम के सूट पर सवाल क्‍यों
गुजरात के एनआरआई हीरा कारोबारी रमेश विरानी ने दावा किया है कि उन्होंने अपने बेटे की शादी का इनविटेशन कार्ड देते वक्त इस साल जनवरी में पीएम मोदी को ‘नरेंद्र दामोदरदास मोदी’ नाम का धारीदार सूट गिफ्ट में दिया था। उन्‍होंने इसकी कीमत नहीं बताई। लेकिन यह तय है कि सूट की कीमत पांच हजार रुपए से तो अधिक ही होगी। फिर, अभी तक यह भी सामने नहीं आया है कि विरानी मोदी के रिश्‍तेदार हैं। इस वजह से इसे कोड ऑफ कंडक्‍ट का उल्‍लंघन माना जा रहा है।
मोदी सरकार ने भी जारी करवाया था कोड ऑफ कंडक्‍ट
10 जून, 2014 को पीएम मोदी ने अपने मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में कामकाज करने के तरीकों को लेकर कुछ दिशा-निर्देश दिए थे। इनमें यह बात भी शामिल थी कोई मंत्री किसी से महंगे गिफ्ट न ले। पीएम मोदी ने अपने मंत्रियों के समक्ष नैतिक जिम्मेदारियों की लंबी चौड़ी फेहरिस्त रखी थी।
मनमोहन सरकार के कोड ऑफ कंडक्ट को फिर से किया था जारी
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में गृह मंत्रालय ने मंत्रियों के लिए कोड ऑफ कंडक्‍ट जारी कराया था। इसे पिछले साल जून में मोदी सरकार ने फिर से जारी करवाया। कहा जाता है कि कोड ऑफ कंडक्ट का पालन ठीक से हो रहा है कि नहीं, इस पर खुद पीएम नजर रखते हैं।
कांग्रेस ने उठाया सवाल- निजी गिफ्ट कैसे ले सकते हैं पीएम
सूट गिफ्ट में मिलने की बात सामने आने के बाद कांग्रेस ने भी पीएम मोदी पर एक बार निशाना साधा है। कांग्रेस नेता अजय माकन और राशिद अल्वी ने कहा कि बतौर पीएम क्या मोदी निजी गिफ्ट स्वीकार कर सकते हैं। और अगर वे ऐसा गिफ्ट स्वीकार कर रहे हैं तो इसके पीछे मकसद क्या है। इतना महंगा गिफ्ट देने वाला कौन है और अगर उसने गिफ्ट दिया है तो इसके पीछे वह अपना क्या काम निकलवाना चाहता है। या उस व्यक्ति ने अपना कोई काम करा लिया है।
(यहां पढ़ेंः हीरा कारोबारी ने मोदी को गिफ्ट मे दिया था नाम लिखा हुआ सूट)
इन्‍होंने लगाई सूट की बोली
– कोमलकांत शर्मा: मोदी के सूट के लिए अब तक की सबसे बड़ी बोली (1.41 करोड़) लगाने वाले कोमलकांत कपड़ा व्यापारी हैं।
– मुकेश पटेल: सूरत के मुकेश पटेल भी कपड़ा व्यापारी हैं। उन्होंने 1.39 करोड़ रुपए की बोली लगाई।
– ग्लोबल फ्रेंड्स ग्रुप: बिजनेस फील्ड से जुड़े कई दोस्तों का ग्रुप है। इन्होंने 1.25 करोड़ रुपए की बोली लगाई।
– राजेश जुनेजा: जुनेजा भी बिजनेसमैन हैं और मोदी को अपना रोल मॉडल मानते हैं। उन्होंने 1.21 करोड़ रुपए की बोली लगाई।
– विरल चोकसी: एनआरआई बिजनेसमैन हैं। 1.11 करोड़ की बोली लगाई।
– सुरेश अग्रवाल: रूपा ग्रुप के मालिक हैं। उन्होंने एक करोड़ रुपए की बोली लगाई।
– राजू अग्रवाल: रीयल एस्टेट डीलर हैं। राजू ने 51 लाख रुपए की बोली लगाई थी।
– पंकज वेदप्रकाश: पहली बोली सूरत के सीए पंकज ने 11 लाख की लगाई।

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