अब बवाल बंद करो बोफोर्स सौदे पर

boforceबोफोर्स का भूत एक बार फिर से बोतल से निकल गया है। बोफोर्स को बीते सालों -दशकों के दौरान जितनी बार दबाने की कोशिश हुई, उतनी बार ये बोतल से निकला।
 अब राष्ट्रपति प्रणव कुमार मुखर्जी ने कह दिया कि अभी ये साबित होना बाकी है कि बोफोर्स तोप सौदे में कोई घोटाला हुआ था। प्रणव मुखर्जी ने ये बात स्वीडन के एक अखबार में छपा है। उधर, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी बोफोर्स तोप के प्रशंसा की। इसमें कोई शक नहीं है कि बोफोर्स तोप सौदों को लेकर भारत में लंबे समय तक बवाल मचा रहा। एक दौर में बोफोर्स सौदे पर भाजपा कांग्रेस के नेताओं पर घूस खाने के आरोप लगाती थी। दौरे से पहला हंगामा अब मुखर्जी के आगामी विदेश दौरे से पहले उनके इंटरव्यू पर हंगामा हो रहा है। बोफोर्स तोप सौदा 1986 में हुआ था। उसके बाद से तमाम आरोप लगे कि सौदे में मोटी घूस खाई गई। घूस खाने में राजीव गांधी की भी भूमिका थी। वीपी सिंह के आरोप हालांकि इस आरोप को कभी साबित नहीं किया जा सका। एक दौर में राजीव गांधी के खिलाफ उनके बोफार्स तोप सौदे में घूस खाने के आरोप वी.पी. सिंह,अरुण नेहरु और आरिफ मोहम्मद खान ने भी लगाए थे। ये सभी कभी राजीव गांधी के साथ कांग्रेस में थे। 1989 के लोकसभा चुनावों में कथित बोफोर्स घोटाले के चलते राजीव गांधी पर तमाम आरोप लगे। वित्त मंत्री थे मुखर्जी बहरहाल, जब बोफोर्स का मामला सामने आया तब मुखर्जी देश के वित्त मंत्री थे। उसके बाद वे कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में रक्षा मंत्री भी रहे। उक्त इंटरव्यू में राष्ट्रपति ने बोफोर्स तोप की मारक क्षमता की तारीफ की। इसी तरह रक्षा मंत्री ने भी माना कि बोफोर्स तोपें बेहद शानदार है। ये बात उन्होंने एक कार्यक्रम में कहीं। अब सवाल उठता है कि जब बोफोर्स तोपें इतनी मारक साबित हुईं तो अब उसे सौदे को लेकर फिर से हंगामा मचाने का क्या मतलब है।
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