कांग्रेस का आरोप, शाह और रिजिजू के अलगाववादियों से सीधे संबंध

amit shahनई दिल्ली। कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के अध्यक्ष अमित शाह और केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किरन रिजिजू पर पूर्वोत्तर क्षेत्र के अलगाववादी गुटों से सीधा संपर्क होने का आरोप लगाते हुए बुधवार कहा कि केन्द्र सरकार उस क्षेत्र में उसकी चार राज्य सरकारों को अस्थिर करना चाहती है। कांग्रेस के पूर्वोत्तर मामलों के प्रभारी वी. नारायणसामी ने यहां पार्टी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि गृह मंत्रालय के सहयोग से अरूणाचल प्रदेश के अलगाववादी संगठन कांग्रेस के विधायकों पर पार्टी से अलग होने के लिए दबाव डाल रहे हैं। उन्होंने कहा कि शाह और रिजिजू का पूर्वोत्तर क्षेत्र के कुछ अलगाववादी संगठनों से सीधा संपर्क है और वह मिजेारम, मणिपुर, असम तथा मेघालय में लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित कांग्रेस सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास कर रहे हैं।
कांग्रेस के विधायकों पर भाजपा में शामिल होने के लिए भी दबाव डाला जा रहा है। नारायणसामी ने कहा कि नागा अलगाववादी संगठन समस्याओं का समाधान बातचीत से करना चाहते थे लेकिन गृह मंत्रालय की विफलता के कारण यह बातचीत असफल हो गई। उनके अनुसार नागा संगठनों के साथ वार्ताकार आर.एन. रबि ने भी एन. एस.सी.एन(के) गुट के साथ संघर्ष विराम समझौता टूटने पर नाखुशी जाहिर की है और ऎसा माना जाता है कि उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय से भी शिकायत की है।�नारायणसामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों को भरोसा दिया था कि 18 महीनों के अंदर नागा मसले का समाधान कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि एन.एस.सी.एन (के) गुट के अलगाववादियों के हमले में मणिपुर में सेना के 18 जवान मारे गए। इसी प्रकार नागालैंड में आठ से अधिक तथा अरूणाचल में तीन जवान मारे गए हैं। गृह मंत्रालय के अलगाववादी गुटों की “बांटो और शाासन करो” नीति के कारण पूर्वोत्तर क्षेत्र में तनाव की स्थिति बन गई है। उन्होंने कहा कि नागालैंड की स्थिति यह है कि वहां सेना के जवानों के बच्चे डर के कारण स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि पूर्वोत्तर क्षेत्रों के कांग्रेस शासित राज्यों में चल रही केन्द्रीय योजनाओं की राशि में भारी कटौती की जा रही है।
केन्द्र प्रायोजित योजनाओं में पहले केन्द्र सरकार की ओर से 90 प्रतिशत राशि दी जाती थी जिसे अब कम कर 30 प्रतिशत तक कर दिया गया है। उनका कहना था कि 14 वें वित्त आयोग ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों के अलावा हिमाचल प्रदेश, झारखंड और उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा देने की बात कही थी ताकि इन क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाओं का विकास किया जा सके। पूर्वोत्तर क्षेत्र के मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने के लिए दो महीने से समय मांग रहे है लेकिन उन्हें यह समय नहीं दिया जा रहा है।

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