अंतरिम रोक का स्वागत, स्थायी रोक की प्रतीक्षा

dinesh muni 1षिर्डी। षिर्डी में चातुर्मासत श्रमण संघीय सलाहकार दिनेष मुनि ने आज 31 अगस्त 2015 को एक बयान देते हुए कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा संथारा या संलेखना तप-साधना पर किये गये फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय ने अंतरिम रोक लगा दी है। यह संतोष की बात है कि तीन सप्ताह के भीतर ही देष की शीर्ष अदालत ने उक्त फैसले की व्यर्थता महसूस कर ली। उन्हेंनें विष्वास व्यक्त किया कि उक्त फैसले पर यह अंतरिम रोक जल्दी ही स्थायी रोक में परिणत हो जायेगी। इस प्रकरण से हमारी न्याय-प्रणाली को यह सबक तो मिला ही है कि न्याय की रक्षा के लिए केवल कानून की किताबें पढ़ लेना और ‘माननीय’ बन जाना काफी नहीं है। लोकतांत्रिक न्याय प्रणाली में अहिंसक और सांस्कृतिक मूल्यों का पूरा सम्मान किया जाना चाहिये। इस मामले में जैन समाज ने जिस एकजुटता, शान्तिप्रियता, अनुषासन और धैर्य का परिचय दिया; वह अभिनन्दनीय ही नहीं, प्रेरणादायक तथा लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप भी है।

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