अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी की तरफ से देह्तोरा की वीरांगना अवंतिबाई पार्क में नव संवत्सर का पावन पर्व धूमधाम से मनाया गया। लोगों ने इस मौके पर एक-दूसरे को नए संवत 2073 की बधाई दी। और फिर इसके बाद नवसंवत्सर पर गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी में अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के सम्पादक मानसिंह राजपूत ने कहा कि जापान, चीन व ईरान जैसे देश अपना नववर्ष मना सकते हैं। तो हम भारतवासी अपने स्वदेशी पंचांग के अनुसार नव वर्षोत्सव क्यों नहीं मना सकते। जरूरत है युवाओं को इसके प्रति जागरूक करने की। उन्होंने कहा कि जब हमारे धार्मिक अनुष्ठान, मांगलिक कार्य, व्रत-उपवास, विवाह, व्यापारिक कामकाज सब भारतीय पंचांग के अनुसार करते हैं। ऐसे में नव संवतसर को नए साल के तौर पर क्यों नहीं मनाया जा सकता।
अखिल भारतीय लोधी राजपूत टेलीफोन डायरेक्टरी के उपसंपादक ब्रहमानंद राजपूत ने कहा कि सभ्यताओं को संघर्ष से नहीं जीता जा सकता, न ही शक्ति के बल बूते, ये भारत ही हो सकता है जहां कई सारे संवत और कलेंडर प्रचलित हैं। अनेक परंपराओं वाले इस देश में एक भी कलेंडर अपने आप में पूरा नहीं है। उन्होंने भारतीय नव वर्ष को हिंदू नव वर्ष जैसी उपमा देना बहुत चिंताजनक बताया, इसके अलावा उन्होंने कहा कि भौतिकता के साथ ही मानसिक रूप से भी भारत ने प्रगति की है, हमारे देश में भौतिकता के साथ आध्यात्म का समन्वय बेहद बेजोड है, ये ही हमारे भारतीय नवजागरण का सबसे बडा मूल्य साबित हुआ है।
इसके साथ ही ब्रज लेजर के डायरेक्टर पवन लोधी इस मौके पर कहा कि हमारे राष्ट्र में भाति-भाति के जाति और व्यवसायिक वर्ग हैं उनके लिए इस वर्ष का अलग-अलग अर्थ रहा है, मगर वैश्विक रूप से चिंतन करें तो बात शक्तिशाली होने से जुड़ी है जो आर्थिक, सांस्कृतिक रूप से बडा है, सभी उसकी ही बात मानते हैं, उसके ही रंग में सभी डूब रहे हैं। जरूरत इस बात की है कि हम भी अपनी सांस्कृतिक परंपरा को ढंग से अपनी संतानों में उड़ेल पाएं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता अरब सिंह बॉस ने की और संचालन ब्रहमानन्द राजपूत ने किया प्रभावसिंह, दुष्यंत लोधी, मोरध्वज लोधी, धारा राजपूत, विष्णु लोधी, दीपक लोधी, लोकेन्द्र लोधी, मुकेश, दिनेश, भूरीसिंह, जीतेन्द्र लोधी, राजवीर सिंह, सहित समाज के प्रमुख गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे और महिलाओं की भी भागीदारी रही।