टोडरमल स्मारक सम्मेलन 21 मई को: हम और हमारा स्मारक

WhatsApp-Image-20160520 (1)ज्ञानानंद महोत्सव स्वर्ण जयंती शिविर में टोडरमल स्मारक सम्मेलन 21 मई को आयोजित किया जा रहा है, जिसका उदघाटन श्री पदम जी पहाडिय़ा इंदौर द्वारा , अध्यक्षता पी.के.जैन रूड़की द्वारा किया जा रहा है एवं अमित जैन दिल्ली के मुख्य अतिथ्य में होगा। विशिष्ट अतिथि के रूप में डां. भरत जैन उज्जैन मौजूद रहेगें। प्रवक्ता डां. एमएल जैन ने बताया कि स्वर्ण जयंती शिविर में अखिल भारतीय जैन युवा फेडरेशन का प्रंातिय सम्मेलन संपन्न हुआ। एवं उनकी नई कार्य कारणाी का गठन व श्रेष्ठ गतिविधियों हेतु सभी युवा फेडरेशन का सम्मान किया गया। सम्मलेन की अध्यक्षता श्री विजय वडज़ात्या जी ने की और उदघाटन श्री संजय दीवान सूरत द्वारा किया गया, मुख्य अतिथि ज्ञान चंद जी कोटा , व राजकुमार जी पेपर मिल भोपाल द्वारा विशिष्ट आतिथ्य स्वीकार किया गया। इस अवसर पर अखिल भारतीय युवा फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ,श्री परमात्म प्रकाश जी भारिल्ल, मंत्री शुद्वात्म प्रकाश जी भारिल्ल, व श्री अध्यात्म प्रकाश जी भारिल्ल, व मलूकचंद जैन , श्री चिनमय शास्त्री अध्यक्ष विदिशा उपस्थित थे। आज वीतराग प्रशिक्षण शिविर में 7 हजार श्रावक, एवं प्राशिक्षकों को जैन रत्न डां. हुकुम चंद भारिल्ल जी , बाल ब्र. सुमत प्रकाश जी ,पं. कमल चंद जी पिडावा, पं. अभय कुमार जी शास्त्री, और पंडित शांति कुमार पाटिल के साथ 39 अध्याय का विद्वानों ने प्रशिक्षण दिया। पं. भारिल्ल जी ने प्रवचन सार पर बोलते हुए कहा कि जैन धर्म में वीतरागता न हो, केवल ज्ञान नहीं हो सकता, जैन धर्म में पहले वीतरागता बाद सर्वज्ञता होती है। सकल ज्ञेय ज्ञायक तदपि निजानंद रसलीन पर उन्होंने विस्तृत व्याख्या की। शिविर प्रणेता बाल ब्रं. सुमत प्रकाश जी ने सात हजार मुमुक्षुओं की उपस्थिति में महावीर स्वामी की दिव्य ध्वनि पर प्रवचन करते हुए कहा कि इसमें अनेकांत एवं स्यादवाद एक वस्तु विज्ञान है , एक भाषा विज्ञान है, अनेकांत शाश्वत को बतलाता है। वही स्यादवाद अज्ञानियों को उनकी भाषा के माध्यम से अनेकात्मक जगत तक ले जाता है, हमें स्यादवार की सिद्घी मात्र ही नहीं करती, स्यादवाद की सफलता अनेकांत की अनुभूति में है। आत्माअन्ंयत्र बचनातीत है, शरीर और विकारों में रहित आत्मा में परमात्मा बनने की शक्ति है। इस अवसर पर डां. अशोक जैन इन्दौर द्वारा ेएक दिन के दोनों समय के भोजन हेतु घोषणा की गई ,जिसका शिविर समिति ने आभार माना , तो वही पिड़ावा मुमुक्षु मंडल द्वारा भोजन व्यवस्था में सहयोग किया गया, बालक बालिकाओं द्वारा आध्यात्मिक व सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई।

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