टोडरमल स्वर्ण जयंती समारोह 22 मई को

र्निग्रंथ दिगम्बर साधू ही गुरू है : डा. भारिल्ल

WhatsApp-Image-20160521 (1)22 मई को टोडरमल स्मारक स्वर्ण जयंती समारोह का उदघाटन श्री अजीत जैन बडोदा, अध्यक्ष श्री अजीत प्रसाद दिल्ली, मुख्य अतिथि प्रेम चंद जी बजाज कोटा, विशिष्ट अतिथि आदीश जी जैन दिल्ली, व मुकेश जैन ढाई दीप इन्दौर द्वारा की जावेगी। ज्ञानानंद महोत्सव स्वर्ण जयंती शिविर में आज टोडरमल स्मारक स्नातक सम्मेलन का उदघाटन श्री निशिकांत जी जैन ओरंगाबाद द्वारा, अध्यक्षता पं. अभय कुमार जी देवलाली, मुख्य अतिथि श्री सुरेश जी पाटनी कोलकाता व विशिष्ट अतिथि श्री सुरेश जी पाटनी कोलकाता , व विशिष्ट अतिथि प्रसिद्घ नेत्र रोग विशेषज्ञ, डां. भरत जैन उज्जैन , पं. मुकेश जी बासवाड़ा एवं पंडि़त मुकेश जैन मेरठ , व अमित जी डीटीडीसी देहली ने की। इस अवसर पर सभी स्नातकों ने अपने विचार रखे व भावी गतिविधियों पर विस्तार से चर्चा हुई। इस अवसर पर 250 पूर्व स्नातकों ने भाग लिया। प्रवक्ता डां. एमएल जैन ने बताया कि शिविर में आज प्रात: श्री पुष्पदंत भगवान एवं शीतलनाथ भगवान की पूजन , विधान , सोनागिर एवं छिंदवाड़ा , मुमुक्षु मंडल द्वारा कलश स्थापना की गई व शिविरार्थियों द्वारा गोला प्रतीक रूप चढ़ाया गया। जैन रत्न पंडित हुकुम चंद जी भारिल्ल ने अपने प्रवचन में प्रवचनसार ग्रंथ पर बोलते हुए कहा कि शुद्घोपयोंग से ज्ञान ही अतीन्द्रिय सुख है, परिवार का सुख तो नाम का है लौकिक सुख प्राप्त करने के लिए हम पाप करते है, भगवान आपकों भोगों से मुक्ति दिलाते है , सांसार में सुख होता तो तीर्थंकर क्यों त्यागते? नरपति , सुरपति, असुरपति , नागेन्द्र तीनों ही दुखी है, इंन्द्रीयों में रमणता दुख है, धर्म विज्ञान विरोधी नहीं किन्तु मार्ग दर्शक है, धर्म के मार्ग दर्शन में चलने वाला विज्ञान का विकास होता है विनाश नहीं , द्वितीय प्रवचन प्रसिद्घ वक्ता बाल ब्रं. सुमत प्रकाश जी ने बताया कि इंद्रियों से ज्ञान नहीं होता, इंद्रिय धोखा देती है, दूर वर्ती पदार्थो का भ्रम ज्ञान से दूर होता है, कान से सुनी गई मां की कठोर वाणी जैसे मार डालूगी, ऐसी डाट फटकार हिंसात्मक होने पर किसी पुत्र , पुत्री द्वारा कभी शिकायत दर्ज नहीं कराई गई, क्योंकि ज्ञान ने मां के प्रति धोख्रे से बचा लिया। आपने कहा कि ज्ञान स्वाधीन परि पूर्ण है, गुरू या ग्रंथ से ज्ञान बढ़ता व उत्पन्न होता है, परंतु मीरा बाई , कबीर ,रैदास, गुरूनंानक आदि महापुरूषों को बिना पढ़े ही छंदो , दोहो, और कुण्डलियों का ज्ञान कैसे हो गया। राईट ब्रदर्स को हवाईजहाज बनाने का ज्ञान किसी महाविघालय से नहीं हुआ, 90 प्रतिशत अविष्कार आवश्यकता ने अशिक्षितों से करवाए, भौतिक ता की महिमा छोड़कर हमें अपने ज्ञान स्वभाव की महिमा आनी चाहिए। इस अवसर पर आयोजित शिविर में बच्चों की बढ़ती संख्या को देखकर बाहर से आए अतिथियों द्वारा बच्चों के 18 दिन के शिक्षण , प्रशिक्षण का खर्च देने की घोषणा की है और आज दोनों समय के भोजन की व्यवस्था श्री संजय जी दीवान सुरत द्वारा की गई है।

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