एम्स (प) (AIIMS-P) में डॉक्टर्स का भविष्य दांव पर

डॉ. अशोक मित्तल
डॉ. अशोक मित्तल
पड़ाई लिखाई का बंटा-ढार और साथ में कैंपस में कीचड, नालीयां न होने से सडन, शौचालयों एवम मूलभूत सुविधाओं की कमी और अन्य भारी अव्यवस्थायें – ये है पटना में खोले गए AIIMS-P का नज़ारा.जिसका दर्जा मेडिकल शिक्षा व इलाज़ के मामले में राष्ट्र में सर्वोच्च वरीयता पर है.
इन सब खामियों के चलते पिछले तीन दिन से वहाँ के मेडिकल स्टूडेंट्स हड़ताल पर हैं. एक छात्र ने ट्वीट किया की “इस मेडिकल संस्थान में भरती हो कर मैं स्वयं को ठगा हुआ महसूस कर रहा हूँ.”
शिक्षा के स्तर की गिरावट का आलम ये है की वहां ३५० मेडिकल टीचर्स की पोस्ट हैं, उस की जगह सिर्फ ५५ अध्यापक ही हैं.
एम्स के डायरेक्टर ने ट्वीट कर बच्चों से गुजारिश की है की वे कक्षाओं में लौट आयें. लेकिन छात्र मानने को तैयार नहीं हैं. इसी सिलसिले में वहां के ५५ में से 40 अध्यापकों ने एक आपात मीटिंग के बाद कहा की छात्रों की मांगें जायज हैं, समस्याएँ वास्तव में वाजिब हैं. जिनके समाधान के लिये केन्द्रीय स्वस्थ्य मंत्री से अपॉइंटमेंट माँगा गया है.
मन में असंतुष्टि और घोर निराशा के चलते छात्रों के अभिभावक ये कह रहे हैं की हमारे बच्चों को एम्स के नाम पर क्यों धोका दिया जा रहा है. यहाँ भेजने से बेहतर होता किसी अन्य मेडिकल कॉलेज में दाखिला दिला देते, क्यूंकि जब मूलभूत सुविधाएं ही नहीं हैं तो वे क्या सीखेंगे और कैसे कुशल डॉक्टर बनेंगे ??
TOI की खबर के हवाले से.
डॉ. अशोक मित्तल, मेडिकल जर्नलिस्ट.

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