रामू लोधी फर्जी मुठभेड मामले में पुलिस जुटी लीपा पोती करने में

ब्रह्मानंद राजपूत
ब्रह्मानंद राजपूत
8 दिसम्बर को आगरा के फतेहपुर सीकरी के गांव सीकरा चार हिस्सा नगर निवासी युवा रामू लोधी की लूट के दौरान हुई फायरिंग में गोली लगने से मौत हो गयी। लेकिन इस मामले में मथुरा पुलिस फंसती नजर आ रही है। क्योंकि जिस रामू लोधी को मारा गया है उसके खिलाफ कोई भी आपराधिक रिकाॅर्ड न आगरा पुलिस न मथुरा पुलिस के किसी भी थाने में दर्ज है। फिर भी मथुरा पुलिस द्वारा रामू को अपराधी बताकर उसकी निर्मम हत्या कर दी गयी। कहा जाए तो रामू लोधी को फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया। मृतक रामू लोधी के पिता प्रेम सिंह के मुताबिक रामू फोर्स की नौकरी की तैयारी कर रहा था, साथ ही आईटीआई की परीक्षा भी इस साल दी थी। पिता के मुताबिक रामू एक सप्ताह पूर्व मजदूरी करने मथुरा आया था। लेकिन बेचारे रामू को क्या पता था उसके साथ इतनी बड़ी घटना घट जायेगी। रामू लोधी आठ दिसंबर को मथुरा के राधिका विहार में था। तभी वहां एक लूटपाट की एक घटना के दौरान पुलिस की मुठभेड़ में रामू के सिर में गोली लग गई। उसकी मौत हो गई। रामू के पास मिले पहचान पत्र और मोबाइल से मथुरा पुलिस ने उसकी शिनाख्त करा दी। उसके बाद मथुरा पुलिस ने परिजनों और अधिकारियों को बताया कि मथुरा के राधिका बिहार में रामू झम्मन दास से लूट के प्रयास के दौरान वह मुठभेड़ में मारा गया है। पुलिस द्वारा सुनाई गयी इस कहानी पर परिजनों को भरोसा नहीं है। परिजन कई सवाल पुलिस से कर रहे हैं। लेकिन पुलिस के पास उनके एक भी सवाल का जबाव नहीं है। परिजनों सहित लोग पुलिस द्वारा सुनाई जा रही कहानी को मनगढंत बता रहे हैं। मीडिया में भी मथुरा पुलिस पर सवाल उठाये जा रहे हैं। लेकिन मथुरा पुलिस किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे पा रहे हैं। अगर पुलिस की बात पर ही विश्वास किया जाए तो पुलिस कह रही है कि लूटपाट में शामिल दो बदमाश भाग चुके थे। लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि जांच में रामू के पास कोई हथियार नहीं मिला है तो निहत्थे रामू लोधी पर गोली क्यों चलाई गयी। उसे तो पुलिस आसानी से पकड़ सकती थी। लेकिन पुलिस के पास कोई जवाब नहीं बन रहा है। अगर पुलिस की बात पर विश्वास किया जाए तो मथुरा पुलिस रामू को लूटपाट में शामिल बता रही है। लेकिन सवाल यह उठता है कि रामू के खिलाफ न आगरा में न मथुरा में कोई आपराधिक केस है। फिर भी रामू को पेशेवर अपराधियों की तरह ट्रीट किया गया। और फायरिंग की गयी जिससे रामू के सर में गोली लगी। अगर पुलिस को गोली ही चलानी थी तो पुलिस रामू के हाथ या पैर पर भी गोली चला सकती थी। मथुरा पुलिस द्वारा सुनाई जा रहीं मनगढंत कहानियों से लोगों और परिजनों को पुलिस पर संदेह गहराता जा रहा है। रामू लोधी के परिवारीजनों को शक है कि रामू लोधी का एनकाउंटर मैनपुरी के रहने वाले हिस्ट्रीशीटर अपराधी रामू चैहान के धोखे में किया गया है। रामू चैहान की आगरा, मथुरा सहित कई जिलों में तलाश चल रही है। हिस्ट्रीशीटर अपराधी रामू चैहान मथुरा में भी सक्रिय रहा है। परिजनों को शक है कि पुलिस को शायद यह सूचना मिली होगी कि राधिका विहार में रामू चैहान आया हुआ है। इसी धोखे में रामू लोधी को गोली मार दी गई। रामू के परिजन अब तक पुलिस महकमे के बड़े-बड़े अधिकारियों से मिल चुके हैं। लेकिन अब तक मृतक रामू लोधी के परिजनों को न तो पोस्टमार्टम कि रिपोर्ट दी गयी है और न ही रामू लोधी के कॉल डिटेल्स की जानकारी दी गयी है। न ही पुलिस अब तक रामू लोधी की कॉल डिटेल्स से फरार हुए दो बदमाशों के नाम और पते पता कर पायी है। और साथ ही साथ पुलिस महकमा मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों के बारे में भी कुछ नहीं बता रहा है। इससे मथुरा पुलिस पर शक गहराता जा रहा है। आगरा में रामू लोधी को न्याय दिलाने के लिए सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक जस्टिस फॉर रामू नाम से मुहीम चल रही है। अगर इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही नहीं होती है तो यह मामला बडा हो जायेगा। इस मामले में अखिलेश सरकार को खुद संज्ञान लेकर उच्च स्तरीय जांच बिठानी चाहिए। जिससे कि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। साथ ही साथ दोषी पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज कर जांच होने तक निलंबित कर देना चाहिए। अगर मथुरा पुलिस के मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मी दोषी पाए जाते हैं तो उन पर कड़ी कार्यवाही और सजा होनी चाहिए। अगर जनता की रक्षा करने वाली पुलिस ही भक्षक बन जायें तो इससे पूरे पुलिस महकमें की शाख पर धब्बा लगता है। पूरे पुलिस डिपार्टमेंट पर लगे इस धब्बे को धोने के लिए अखिलेश सरकार को बिना किसी दवाब के सीबीआई से जांच करानी चाहिए। और मृतक रामू लोधी को न्याय दिलाना चाहिये।
– ब्रह्मानंद राजपूत, दहतोरा, शास्त्रीपुरम, सिकन्दरा, आगरा

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