केंद्र के खिलाफ दिल्ली में ममता की रैली

केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ़ राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर कुछ ही देर में तृणमूल काँग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन शुरू होने जा रहा है.

दिल्ली में उनके नेतृत्व में ये पहले विरोध प्रदर्शन होगा जिसके लिए धरना स्थल पर पंडाल तान दिए गए हैं और प्लास्टिक की कुर्सियाँ लगा दी गई हैं.

मनमोहन सिंह की सरकार से समर्थन वापिस लेने के बाद ममता बनर्जी खामोश नहीं बैठीं. उन्होंने कोलकाता में सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और अब इस लड़ाई को वो दिल्ली ले आई हैं.

तृणमूल काँग्रेस का जनाधार पश्चिम बंगाल में हैं लेकिन आज के धरने से संकेत स्पष्ट हैं कि ममता बनर्जी अब हिंदी प्रदेशों में भी अपनी पार्टी का विस्तार करना चाहती हैं.

दिलचस्प बात ये है कि उनकी पार्टी के बांग्लाभाषी नेता को हिंदी भाषा सुधारने की कोशिश कर रहे हैं.

पार्टी पहले ही अपनी हरियाणा इकाई शुरू कर चुकी है और चंडीगढ़ में एक बड़ा सा पार्टी कार्यालय भी खोला जा चुका है.

विस्तार की रणनीति

ममता बनर्जी फिलहाल सिर्फ अपने ही बूते विरोध प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन उन्होंने विपक्षी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के संयोजक और जनता दल (युनाइटेड) के शरद यादव को भी आज के प्रदर्शन में हिस्सेदारी करने का आमंत्रण दिया है.

जद (यू) के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने बीबीसी से बातचीत में इस खबर की पुष्टि की और कहा कि श्री यादव और वो खुद प्रदर्शन में हिस्सा लेने जंतर मंतर पहुँचेंगे.

तृणमूल काँग्रेस का कहना है कि मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापिस लेना पहला कदम था, अब देश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला शुरू किया जाएगा.

पार्टी नेता केडी सिंह का कहना है कि ये प्रदर्शन तब तक जारी रहेंगे जब तक बहु-ब्रांड खुदरा में विदेशी निवेश को अनुमति देने का फैसला वापिस नहीं ले लिया जाता.

इसके अलावा डीज़ल की कीमतों में बढ़ोत्तरी और रसोई गैस की सीमा बाँधे जाने से भी ममता बनर्जी नाराज़ हैं.

वो पहले ही कह चुकी हैं कि देश में “आम आदमी के नाम पर लूट मची हुई है”.

मशक्कत

आज के धरने में तृणमूल काँग्रेस के कई बड़े नेता हिस्सा लेंगे जिनमें हाल ही में रेलवे मंत्रालय से इस्तीफा दे चुके मुकुल रॉय भी शामिल हैं.

संवाददाताओं का कहना है कि कि ममता बनर्जी को पश्चिम बंगाल से बाहर पैर पसारने में अभी काफी मशक्कत करनी होगी.

भारतीय चुनाव आयोग की ओर से राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर मान्यता हासिल करने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम चार राज्यों में कुल वैध मतों का छह प्रतिशत हासिल करना होता है.

साथ ही लोकसभा में उसके कम से कम चार सांसद होने चाहिए.

तृणमूल काँग्रेस के फिलहाल लोकसभा में 19 सांसद हैं.

error: Content is protected !!