पाकिस्तान में बना भगत सिंह चौक

पाकिस्तानी प्रशासन ने लाहौर के एक प्रमुख चौराहे का नाम भगत सिंह चौक कर दिया है.

इस चौराहे को पहले शादमान चौक कहा जाता था.

ये चौराहा उस जगह स्थित है जहां कभी लाहौर सेंट्रल जेल में क़ैदियों को फांसी दी जाती थी.

स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को 23 मार्च, 1931 में यहीं फांसी पर लटकाया गया था.

बाद में साल 1961 में जेल को धवस्त कर दिया गया था और उसकी जगह एक रिहायशी कॉलोनी बनाई गई थी. और जहां फांसी घर था वहां एक चौराहा बन गया था जिसका नाम शादमान चौक पड़ गया था.

मांग

पाकिस्तान के कई सामाजिक और राजनीतिक संगठन ये मांग उठाते रहे थे कि शादमान चौक का नाम बदलकर भगत सिंह चौराहा किया जाए.

दोनों देशों के सामाजिक कार्यकर्ता इस स्थान पर 23 मार्च को इकठ्ठा होकर आज़ादी के शहीदों की याद में कार्यक्रम करते रहे हैं.

कई बार उन्होंने चौक पर भगत सिंह चौक की तख़्ती भी लगा दी थी.

जानेमाने मानवधिकार कार्यकर्ता जस्टिस राजेन्द्र सच्चर, भगत सिंह पर कई पुस्तक लिख चुके प्रोफेसर चमन लाल, जाने माने पत्रकार कुलदीप नैयर और दूसरे कई जानी मानी हस्तियों ने पाकिस्तान हुकूमत के इस फ़ैसले का स्वागत किया है.

इस साल भगत सिंह के जन्मदिन, 28 सिंतबर, के वर्षगांठ के मौक़े पर लाहौर के दयाल सिंह कालेज में पाकिस्तान लेबर पार्टी समेत 24 संगठनों ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें भगत सिंह को पूरे एशिया के संघर्ष कर रही आबादी का प्रतिनिधि बताया गया.

वहां ये मांग भी उठी थी कि फ़ैसलाबाद ज़िले के लयालपुर ज़िले में स्थित भगत सिंह के जन्मस्थान पर एक म्यूज़ियम की स्थापना की जानी चाहिए.

 

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