बीमा और पेंशन क्षेत्र में भी एफ़डीआई को मंज़ूरी

विपक्ष की आलोचना को नज़रअंदाज़ करते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने पेंशन में एफडीआई को हरी झंडी दे दी है. साथ ही बीमा क्षेत्र में एफडीआई के दायरे को 26 प्रतिशत से बढ़ा कर 49 प्रतिशत किया गया है.

ये फैसले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में लिए गए.

ये फैसले खुदरा कारोबार में विदेश निवेश को मंजूरी, डीजल के दाम बढ़ाने और एलपीजी पर दी जा रही सब्सिडी को सीमित करने के लगभग तीन सप्ताह बाद लिए गए हैं.

दिल्ली में पत्रकारों को इन फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि कैबिनेट ने बीमा कानून संशोधन विधेयक में बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को बढ़ाने का निर्णय किया है.

‘निजी कंपनियों को फायदा’

उन्होंने कहा, ”बीमा क्षेत्र में काफी पूंजी की जरूरत है जो एफडीआई से ही पूरी हो सकती है. इसका फायदा निजी कंपनियों को होगा और उन्हें इसकी काफी जरूरत थी.”

उन्होंने कहा, ”कंपनी बिल में भी संशोधन पारित किया गया है. यह बिल बहुत अहम है और 21वीं सदी के लिए है.”

इससे पहले पिछले महीने यूपीए सरकार ने मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी दी थी. साथ ही नागरिक उड्डयन क्षेत्र में एफडीआई नियमों में और ढील देने का फैसला किया था.

इस बैठक में 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के मसौदे को भी अनुमति दे दी गई. चिदंबरम ने कहा कि कैबिनेट से इस मसौदे को स्वीकृति मिलने के बाद अब इसे राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में प्रस्तुत किया जाएगा.

कैबिनेट ने प्रतिस्पर्धा कानून में संशोधन और अवसंरचना विकास कोष (आईडीएफ) शुरू करने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दी है.

अगला कदम

अब बीमा, पेंशन और कंपनी बिल को संसद से मंजूरी दिलानी होगी. ऐसा माना जा रहा है कि यह इतना आसान नहीं होगा क्योंकि विपक्षी पार्टियां पहले ही पुराने फैसलों को लेकर विरोध कर रही हैं.

कैबिनेट की बैठक में आर्थिक सुधारों पर दूसरे दौर के फैसलों से पहले ही भाजपा और तृणमूल कांग्रेस सहित कई पार्टियां बीमा और पेंशन में एफडीआई को मंजूरी का विरोध कर रहे हैं.

ये पूछे जाने पर कि सरकार किस तरह से इन सब फैसलों को पारित कराएगी खास तौर पर राज्य सभा में तो चिदंबरम ने कहा, ”हमे यकीन है कि हम सभी पार्टियों खास तौर पर मुख्य विपक्षी पार्टी का समर्थन हासिल करेंगे.”

उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आगामी शीतकालीन सत्र में ये बिल पारित किए जाएंगे.

error: Content is protected !!