सोनिया गाँधी के दामाद ने ली रिश्वत: केजरीवाल

चंद रोज़ पहले अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने बनाने वाले अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने सोनिया गाँधी के दामाद राबर्ट वाड्रा पर सैकड़ों करोड़ रुपए की रिश्वत लेने के आरोप लगाए हैं.

अरविंद केजरीवाल, प्रशांत भूषण और उनके पिता शांति भूषण ने शुक्रवार को दिल्ली में हुई एक पत्रकारवार्ता में कुछ दस्तावेज़ पेश करते हुए आरोप लगाया कि उत्तर भारत के एक बड़े रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ़ समूह ने गलत तरीकों से रॉबर्ट वाड्रा को 300 करोड़ रुपयों की संपपतियाँ कौड़ियों के दामों में दे दी.

कांग्रेस के प्रवक्ता और राज्य सभा सांसद राशिद अल्वी ने बीबीसी से बात करते हुए केजरीवाल के आरोपों को साज़िश करार दिया है. उन्होंने कहा, “बेबुनियाद खुलासे करते रहना केजरीवाल की आदत बन गई है.”

भारत के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने पूरे मामले को गंभीर बताया है और इसमें जांच की मांग की है.

केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने भी सभी आरोपों को निराधार बताया है और कहा है कि वाड्रा के द्वारा किए गए सभी व्यावसायिक व्यवहार सही हैं.

‘गंभीर आरोप’

प्रशांत भूषण ने कहा कि दस्तावेजों के मुताबिक डीएलएफ़ ने रॉबर्ट वाड्रा की फ़र्ज़ी कंपनियों को बिना ब्याज लिए 65 करोड़ रुपयों का असुरक्षित लोन दिया और उस पैसे से वाड्रा की कंपनियों ने डीएलएफ़ की ही 300 करोड़ रुपयों की संपत्तियां खरीद लीं.

प्रशांत भूषण ने कहा “डीएलएफ़ इनको पैसा दे दे कर अपनी ही सैकड़ों करोड़ की संपत्तियां कौड़ियों में दे रहा है. रॉबर्ट वाड्रा की कंपनियों में इनकी मूल पूँजी केवल 50 लाख रुपए लगी है. सवाल यह है कि कोई कंपनी किसी एक आदमी को इस तरह के लाभ क्यों दे रही है.”

प्रशांत भूषण ने सवाल पूछते हुए कहा कि डीएलएफ़ ने रॉबर्ट वाड्रा को बिना ब्याज के इतना क़र्ज़ क्यों दिया और इतनी संपत्तियां वाड्रा को अपने ही पैसे से कौड़ियों के दाम पर क्यों दीं.

प्रशांत भूषण का आरोप है डीएलएफ़ को कांग्रेस शासित हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली राज्यों में सरकारों से बड़े पैमाने पर ज़मीन प्राप्त हुई है.

उदाहरण देते हुए भूषण ने कहा” हरियाणा सरकार ने वजीराबाद में डीएलएफ़ को किसानों से अधिगृहित कर के ज़मीन डीएलएफ़ को सौंप दी है. इस ज़मीन को सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए अधिगृहित किया गया था.

‘वाड्रा उनकी माँ कंपनियों के मालिक’

अरविंद केजरीवाल ने कहा, “पूरी बात यह है कि डीएलएफ़ वाले वाड्रा को 300 करोड़ रुपए देना चाहते थे. डीएलएफ़ ने वो 300 करोड़ रुपया छह कंपनियों में कुछ लेन देन कर के दे दिया. ऐसा दिखाई देता है कि रॉबर्ट वाड्रा ने कुछ तो फायदा पहुंचाया है.”

केजरीवाल और उनके साथी नेताओं का आरोप है कि “सभी लाभ पाने वाली कंपनियों में रॉबर्ट वाड्रा और उनकी माँ निदेशक है. एक समय तक इन कंपनियों में प्रियंका गाँधी भी निदेशक थीं लेकिन उन्होंने बाद में इन कंपनियों से हाथ झाड़ लिया.”

शांति और प्रशांत भूषण सहित केजरीवाल तीनों ने इस मामले में जांच की बात कही लेकिन उन्होंने कहा कि किसी भी जांच का स्वतंत्र होना संभव नहीं है. केजरीवाल के अनुसार अगर जनलोकपाल बिल पारित कर दिया गया होता तो यह सब ना होता.

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