डीएलएफ ने कहा रॉबर्ट वाड्रा को नहीं दिए असुरक्षित कर्जे

रिएल इस्टेट की नामी कंपनी डीएलएफ ने इन आरोपों को खारिज किया है कि उसने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को फायदा लेने के लिए असुरक्षित कर्जे दिए.

कंपनी का कहना है कि उसने वाड्रा के साथ जो कारोबार किया वो पूरी तरह पारदर्शी है और उन्हें ये कर्जे सामान्य उद्यमी के तौर पर दिए गए थे.

डीएलएफ ने अरविंद केजरीवाज और प्रशांत भूषण के इन आरोपों को खारिज किया कि वाड्रा को फायदा पहुँचाया गया है.

केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया था कि डीएलएफ़ समूह ने गलत तरीकों से रॉबर्ट वाड्रा को 300 करोड़ रुपयों की संपत्तियाँ कौड़ियों के दामों में दे दी.

डीएलएफ का कहना है कि उसने ना तो किसी राज्य सरकार से अनुचित लाभ उठाया है और ना ही उसे दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान की सरकारों की ओर से कोई भूमि आवंटित की गई है.

डीएलएफ ने इस आरोप को भी ठुकरा दिया कि कंपनी ने वाड्रा और उनकी कंपनी को औने-पौने दाम पर संपत्तियाँ बेचीं.

डीएलएफ की सफाई

डीएलएफ के बयान में कहा गया है, “हम कहना चाहते हैं वाड्रा या उनकी कंपनी के साथ डीएलएफ के कारोबारी रिश्ते उन्हें एक सामान्य उद्यमी समझकर स्थापित किए गए थे.”

प्रशांत भूषण ने कहा था कि दस्तावेजों के मुताबिक डीएलएफ़ ने रॉबर्ट वाड्रा की फ़र्ज़ी कंपनियों को बिना ब्याज लिए कथित तौर पर 65 करोड़ रुपयों का असुरक्षित लोन दिया और उस पैसे से वाड्रा की कंपनियों ने डीएलएफ़ की ही 300 करोड़ रुपयों की संपत्तियां खरीद लीं.

लेकिन डीएलएफ ने कहा कि उसने जमीन खरीदने के लिए दो सौदों में वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड को ये 65 करोड़ रुपए दिए थे.

कंपनी ने कहा है कि 2008-09 में स्काइलाइट ने गुड़गाँव के शिकोहपुर गाँव में लगभग साढ़े तीन एकड़ के एक जमीन के टुकड़े को बेचने के लिए डीएलएफ से संपर्क किया था.

डीएलएफ के मुताबिक वो उस जमीन को 58 करोड़ रुपए में खरीदने के लिए तैयार हो गई जिसके लिए स्काइलाइट को 50 करोड़ रुपए की अग्रिम राशि दी गई.

डीएलएफ ने कहा कि फरीदाबाद स्थित एक और जमीन के लिए उसने स्काइलाइट को 15 करोड़ रुपए दिए थे लेकिन कानूनी अड़चनों के कारण सौदा पूरा नहीं हो पाया और स्काइलाइट ने उसे 15 करोड़ रुपए वापस कर दिए.

फायदा लेने से इनकार

कंपनी के मुताबिक उसने किसी भी स्तर पर स्काइलाइट ग्रुप को ब्याजमुक्त ऋण नहीं दिया था.

डीएलएफ ने अपने वक्तव्य में कहा है कि सितंबर 2008 में उसने रॉबर्ट वाड्रा को अपने इस्तेमाल के लिए अरालिया प्रोजेक्ट में एक अपार्टमेंट 12,000 रुपए प्रति वर्ग फीट के बाजार दाम पर बेचा था, और ये दर सबसे ज्यादा दरों में से थी.

कंपनी के मुताबकि ये कहना बिल्कुल बेबुनियाद है कि उसने इस फ्लैट को कम दामों में वाड्रा को बेचा था.

केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने आरोप लगाए थे कि ये डीएलएफ ने वाड्रा को कई फ्लैट्स बेहद कम दामों में बेचे.

लेकिन डीएलएफ ने अपने वक्तव्य में कहा, “वाड्रा या उनकी किसी कंपनी को कौड़ियों के दाम संपत्ति बेचने का कोई सवाल ही नहीं उठता है. ये आरोप भी बिल्कुल गलत है कि मैग्नोलियाज में सात अपार्टमेंट सिर्फ 5.2 करोड़ रुपए में बेचे गए थे.”

दिल्ली के साकेत हिल्टन होटल में वाड्रा की कंपनी को 50 प्रतिशत का हिस्सा देने पर डीएलएफ ने सफाई देते हुए कहा है कि ये होटल आर्थिक मंदी की वजह से बुरे दौर से गुजर रहा है और इसकी कीमत 200 करोड़ रुपए के आसपास है, ना कि 300 करोड़ रुपए जैसा कि आरोपों में कहा गया है.

डीएलएफ ने इस बात से भी इनकार किया कि उसे हरियाणा सरकार की ओर से फायदा पहुँचाया गया. कंपनी ने कहा कि वो हरियाणा में पिछले 40 सालों से सक्रिय है और सफलतापूर्वक उसने कई परियोजनाओं को पूरा किया है.

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