आस्था से खिलबाड,खामोश जनप्रतिनिधि,लापरवाह अधिकारी

गंदे सरोवर में कजलियां विर्सजन करने मजबूर हुये श्रृद्धालु

IMG20170808180316डा.एल.एन.वैष्णव
दमोह/इसे लापरवाही के साथ आस्था के साथ खिलवाड नही ंतो क्या कहेंगे कि सनातन धर्म के एक पर्व पर पुनःउसी स्थिति में लोगों को गंदे सरोवर में श्रृ़द्धालुओं को कजलियां विर्सजन करने मजबूर होना पडा। बात कर रहे हैं नगर के ही दीवान जी की तलैया की जहां की स्थिति पूर्व के बर्षों की भांति जस की तस बनी हुई है। जिनके कंधों पर जबाबदारी है वह अपनी जिम्मेदारी को किस प्रकार निभा रहे हैं सर्व विदित है। वार्ड के पार्षद तो निर्वाचन होने के पश्चात ्से ही लोगों को नजर नहीं आ रहे हैं ? वहीं बडी-बडी बातों के साथ देश में सबसे गंदे शहर के दाग को धोने के लिये कार्य करने तथा कुछ अंक मिल जाने पर लाखों रूपयों को खर्च कर अपने मुंह मिंया मिठ्ठु बनने वाले लोग फिलहाल अपनी भूमिका को कागजों में दिखलाते देखे जा सकते हैं। जबकि जमीनी हकीकत आपके सामने है जिसको लेकर जमकर चर्चा बनी हुई है। ज्ञात हो कि दीवान जी की तलैया अपनी अपने अस्तित्व को बचाने के लिये बर्षों से जद्ोजहद कर रही है। इसको साफ करना और बचाना तो दूर इसके अस्तित्व को समाप्त करने के लिये ही निर्वाचित दो वार्डों के पार्षदों की अनदेखी तथा अर्थ के लिये अनर्थ का परिणाम नही ंतो क्या कहा जायेगा कि एक गंदे नाले को लाखों रूपयों को खर्च करके जोड दिया गया। धर्म ध्वजा को थाम अपनी चुनावी तथा राजनैतिक आकांक्षाओं को पूर्ण करने तथा करवाने वालों की खामोशी भी उस समय चिंतनीय एवं प्रश्नों को उपजाने वाली बन जाती है जब सनातन धर्म के बडे पर्व कजलियों पर भी सरोवर एवं उसके तट पर गंदगी का आलम खुलेआम देखा जा सकता है। नगर पालिका की अध्यक्ष तथा संबधित पार्षदों के साथ विभाग के आला अधिकारियों की लापरवाही एवं जनप्रतिनिधियों की खामोशी क्या सनातन धर्म के अनुयायियों की आस्था के साथ खिलवाड नही ंतो क्या है?

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