एक जिंदगी ऐसी भी, पिता दुधमुंही बच्ची को लिए ढो रहा है सवारी

भरतपुर:  भरतपुर के विजय नगर कालोनी में पांच सौ रुपए माह के किराए के एक कमरे में रहने वाला बबलू पिछले डेढ़ माह को अपना बुरा दौर मानता है और बबलू के पिता जीवन लाल भगवान की परीक्षा। मात्र एक माह तीन दिन की नन्ही जान अस्पताल में जिंदगी से जूझ रही है तो सड़क पर बबलू भी दिनरात रिक्शा चलाकर एक कड़ी परीक्षा से ही गुजर रहा है। वह चाहता है कि पत्नी को भले ही नहीं बचा पाया, लेकिन उसकी धरोहर पुत्री को पत्नी की यादों के रूप में संजोकर रखे।

बबलू का कहना है कि लड़की कुशलता से घर पहुंच जाए, तब भले ही थोड़ी राहत मिल जाए। इस दौर में यदि कोई साथ निभा रहा है तो वह है बच्चों के अस्पताल में भर्ती अन्य बच्चों के परिजन, जिन्होंने बबलू की नन्ही परी को नाम दिया।दरअसल 10 सितंबर को बबलू की पत्नी की शांति की तबीयत बिगड़ी। 15 सितंबर को पुत्री का जन्म हुआ। यह खुशी का मौका था। बबलू ने मंदिर जाकर पूजा भी की। भले ही पत्नी की तबीयत में सुधार नहीं आया था, लेकिन पुत्री के जन्म के साथ 15 साल की मन्नत पूरी हुई । 20 सितंबर को वह घर लौटा तो पता लगा कि शांति नहीं रही। उसे खून की कमी पहले से ही थी।तब रिक्शा चालक बबलू का साथ उसी के कुछ साथी रिक्शा चालकों ने दिया। इसके बाद बबलू ने पुत्री को सीने से ऐसा लगाया कि रिक्शा चलाते समय भी वह साथ रहती। जेब में दूध की बोतल।  गले में एक झोला रूपी कपड़ा और उसमें बेटी। बेटी रोती तो वह रिक्शा रोक उसे दूध पिलाता, चुप कराता। फिर आगे का सफर। सब कुछ ठीक चला, लेकिन तीन दिन पूर्व उसकी जिंदगी में एक और भूचाल आया।बेटी को तेज बुखार। जिसके चलते बबलू ने नन्ही परी को जनाना अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती कराया। बेहद दुबली और निमोनिया की शिकार इस बच्ची की सलामती की दुआ वार्ड में भर्ती अन्य बच्चों के परिजन भी कर रहे हैं। रिश्ते नातेदारों का भी नहीं साथ पत्नी की मौत और उसके संस्कार तक बबलू अकेला जुटा रहा। गले में बेटी को लटकाए। उसका कोई दूसरा भाई है नहीं और पिता जीवन से भी झगड़ा चल रहा था।जीवन ने बताया कि शांति की मौत की खबर सुनकर वह दिल्ली से लौटा है। दिल्ली में वह चौकीदारी करता है। अस्पताल में नन्ही परी का नाम सभी के सुझाव पर लक्ष्मी रखा गया। तीन दिन हो गए। वह अस्पताल में लक्ष्मी के साथ रहता है तो बबलू रिक्शा चलाकर मजदूरी के पैसे इक_े कर रहा है। इस उम्मीद से कि अधिक पैसे होने पर लक्ष्मी का उपचार किसी अच्छे अस्पताल में कराया जा सके।

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