विरोधी नारे सुन ‘बैक डोर’ से निकलीं सोनिया

दिल्ली रैली की कामयाबी से कांग्रेस अध्यक्ष को मिला सुकून अपने निर्वाचन क्षेत्र में उस समय काफूर हो गया जब आइटीआइ कर्मचारियों की नाराजगी से बचने के लिए उनको ‘बैक डोर’ से निकलना पड़ा। नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नालॉजी (निफ्ट) के गेट पर चार घंटे से अपनी सांसद को समस्या बताने को प्रतीक्षा कर रहे सैकड़ों कर्मचारियों को सोनिया के पिछले गेट से चले जाने की जानकारी मिली तो मुर्दाबाद के नारों का सिलसिला शुरू हो गया। नाराज कर्मचारियों का गुस्सा शांत करने के लिए अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने चुनाव में आईना दिखाने की चेतावनी दी।

वहीं, उत्तर प्रदेश में गुरुवार को गांधी परिवार की हलचल रहेगी। इसकी वजह है कि आज राहुल गांधी जहां अपने चुनाव क्षेत्र अमेठी में होंगे वहीं, रायबरेली में मां सोनिया गांधी के साथ प्रियंका गांधी मौजूद रहेंगी। हालांकि सोनिया गांधी दो दिन के दौरे पर बुधवार को ही रायबरेली पहुंच गई थीं। एक ही दिन में पूरे गांधी परिवार के अपने चुनाव क्षेत्र में होने के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं।

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी गुरुवार को एक साथ दिल्ली से एक साथ अपने मिशन के लिए निकलेंगे। जहां आज रायबरेली में सोनिया का आखिरी दिन होगा वहीं उनके बाद यहां की कमान प्रियंका अपने हाथों में ले लेंगी। इससे पहले भी रायबरेली में ब्लॉक से लेकर जिला स्तर तक के सभी लोगों को तय करने का एकाधिकार उन्हीं के पास सुरक्षित था।

राहुल गांधी जहां अमेठी में विकास कार्यो का जायजा लेंगे वहीं पिछले दिनों सड़क हादसे में मारे गए कांग्रेस कार्यकर्ता के घर भी जाएंगे। माना जा रहा है कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी अपने इस दौरे से मिशन 2014 की तैयारी में जुट गए हैं और आम चुनाव आने से पहले अपनी छवि सुधारने की हर मुमकिन कोशिश कर लेना चाहते हैं। बुधवार को रायबरेली में सोनिया गांधी ने रेल कोच फैक्ट्री का भी उद्घाटन किया था। हालंाकि, यहां पर उन्हें लोगों की नाराजगी भी झेलनी पड़ी थी। विपक्ष की आलोचना और आरोपों पर पलटवार से बचते हुए सोनिया ने दो दिवसीय दौरे के पहले दिन बुधवार को आधा दर्जन विकास योजनाओं का शिलान्यास किया।

तीन माह के भीतर सोनिया का दूसरा दौरा भी क्षेत्रीय विकास के मुद्दे पर पनपे असंतोष को ठंडा करने पर ही केंद्रित रहा। आधा दर्जन अधूरे कार्यो को पूरा कराकर उनकी विधिवत शुरुआत कराई गई। नकारात्मक राजनीति से बचने को ही प्रदेश में लगातार हो रहे दंगों व चरमराती कानून व्यवस्था पर कांग्रेस अध्यक्ष ने एक शब्द भी नहीं बोला। एफडीआइ जैसे मसलों पर भी खामोशी बनाए रखी। अलबत्ता यूपीए सरकार के तीन कैबिनेट मंत्रियों के साथ उन्होंने बतौर ‘दीपावली गिफ्ट’ क्षेत्र में रेलगाड़ी के पहिए बनाने की फैक्ट्री लगाने, सद्भावना एक्सप्रेस व इंटरसिटी का हाल्ट और सुरक्षा में निवेश बढ़ाने व कोच कारखाना कमियों को 35 लाख रुपये जैसी अनेक घोषणाएं भी की। सोनिया गांधी ने लालगंज में रेल डिब्बा बनाने की फैक्ट्री का लोकार्पण करके वर्ष 1996 में किए अपना वादा निभाया। शिलान्यास के बाद से रेल कोच कारखाने में उत्पादन न हो पाने से क्षेत्र में कांग्रेस की किरकरी हो रही थी।

बुधवार को सोनिया गांधी ने रेल मंत्री पवन बंसल की मौजूदगी में 21 वातानुकूलित नए डिब्बे भारतीय रेल के बेड़े में शामिल किए। इस मौके पर रायबरेली उतरठिया रेल लाइन के दोहरीकरण और रेलवे स्टेशन का उच्चीकरण किए जाने एवं बहुउद्देश्यीय काम्पलेक्स की आधारशिला भी रखी। इतना ही नहीं फैक्ट्री निर्माण को अपनी भूमि देने वाले किसानों के परिवारी जन को नौकरी के नियुक्ति पत्र भी बांटे।

अहम बात यह रही कि पूरा समारोह फैक्ट्री के भीतर कराकर क्षेत्रवासियों को भरोसा दिलाने की कोशिश की गई कि विकास का एक भी वादा कांग्रेस नहीं भूली है। रेलवे से जुड़ी कई अन्य घोषणाएं कराने के अलावा सोनिया गांधी अपने दूसरे केंद्रीय मंत्री अजय माकन के साथ बरवारीपुर पहुंची। जहां कम लागत में बने आवासीय भवनों का शिलान्यास करने के साथ अन्य स्थानों पर बेघर लोगों को आश्रय दिलाने का आश्वासन दिया गया।

रायबरेली के विकास में अपनी भागीदारी भी सुनिश्चित कराने के लिए केंद्रीय वाणिज्य व कपड़ा मंत्री आनंद शर्मा भी सोनिया गांधी के साथ मौजूद रहे। निफ्ट के दीक्षांत समारोह में भाग लेने के साथ उसके नए भवन का शिलान्यास भी किया। सोनिया के व्यस्त कार्यक्रम में इंदिरा गांधी की जिला पंचायत भवन स्थित मूर्ति की छतरी का अनावरण, महबूब शाह आलम की दरगाह का उद्घाटन व एफडीडीआइ फुरसत गंज का भ्रमण करना भी शामिल रहा। उन्होंने देर रात तक क्षेत्रवासियों से मिल उनकी समस्याओं के ज्ञापन बटोरे।

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