श्री रामकथा के तृतीय दिवस में उमड़ा भक्तों का जन सैलाव

षिव विवाह प्रसंग, कथा व्यास गुरूदेव महर्षि श्री उत्तम स्वामंी जी महराज। जहा राम है वहां पर काम नहीं है-स्वामी जी।
विदिषा। स्व. श्री गुरूचरण सिंह जनसेवा न्यास द्वारा स्थानीय श्रीरामलीला प्रांगण में चल रही सप्त दिवसीय श्रीरामकथा के तृतीय दिवस महर्षि श्री उत्तम महर्षि स्वामी जी महराज के श्रीमुख से कहा कि ईष्वर प्राप्ति के लिए चार तत्व मनुष्य जीवन में अवष्य होना चाहिए। पुरूषार्थ, प्रयत्न, प्रतिक्षा एवं प्रार्थना। मनुष्य अगर किसी ओर मनुष्य के पतन के लिए कितना ही प्रयास करें परन्तु नारायण कृपा से सत्य का कभी भी पतन नही होता हैं और जो धर्म के रास्ते में आड़े आते है ऐेसे भी अधर्मीयों को सर्वनाष होता है। सतगुण और र्दुगुण दोनों के 08-08 अंग होते है। जीवन में क्रोध या घमंडता से हमेषा ही पतन होता है। इस कारण जीवन में क्रोध और घमंड का त्याग करना चाहिए। मनुष्य को कभी देवनिंदा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इससे नरक की प्राप्ति होती है। यज्ञ कभी भी अधूरा नहीं जाता है। इस कारण ही ब्रहमा, विष्णु एवं षिवजी ने षिव जटाओं से उत्पन्न वीरभद्र जी द्वारा विधवंष किए यज्ञ को पूर्ण किया उसमें समाहित सति शरीर के 52 टुकडों हुए जिससे 52 शक्ति पीढ़ों की स्थापना हुई। जीवन में मासंाहार नहीं करना चाहिए, क्योंकि जिस प्रकार शमषान में भूत प्रेत आदि का वास होता है उसी प्रकार पशुओं का मासंाहार करके हम अपने पेट को शमषान बना रहे है। चिंता और मदिरापान मन को खराब करता है पूर्व में किसी गांव में प्रवेष करने पर मंदिर के दर्षन होते थे परन्तु आज कल गांव में प्रवेष करते ही मदिरा की दुकाने खुल गई है। गुरूदवे जी कहां कि अगर नषा करना ही तो सत्संग का नषा करके जीवन में आनंद उठाना चाहिए। घर के आंगन से मॉ एवं गौमाता का सम्मान खत्म होने के कारण ही संसार से संस्कार खत्म हो रहे है। माता, पिता, गुरू एवं प्रभु जीवन के लिए चारांे दिषाएं है।
इस कथा में उपस्थित जन भाजपा जिलाध्यक्ष दिनेष सोनी जी, नपा अध्यक्ष श्री मुकेष जी टंडन, श्री अभिमन्यू भौमिक, श्री अंषुल जी वैरागी मंदसोर, पूर्व एल्डरमेन श्री रघुवीर सिंह जी चौहान, युवा विकास परिषद से श्री विजय दीक्षित, अनुसूचित आयोग अध्यक्ष श्री भूपेन्द्र जी आर्य, भूपेन्द यादव एवं सैकड़ो श्रद्धालुओं ने श्रीराम कथा का रसपान किया।
श्रीराम कथा का शुभारंभ सरदार गुरूचरण सिंह सेवा न्यास की संयोजिका श्रीमती सुखप्रीत कौर एवं माता श्री बलजीत कौर, तेजेन्दर सिंह बन्नू भैया सपत्निक द्वारा श्रीराम चरित्र मानस एंव महषि श्री उत्तम महराज की पूजा अर्चना कर सम्पन्न हुआ। श्रीराम कथा के चतुर्थ दिन श्रीराम जन्मोत्सव रहेगा।

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