कम जले पटाखे, फिर भी बढ़ा प्रदूषण

दिल्ली में इस दिवाली अपेक्षाकृत कम पटाखे जले, इसके बावजूद वायु प्रदूषण में कोई कमी नहीं आई है। वैज्ञानिकों की मानें, तो लोगों ने कानफोड़ू पटाखे कम जलाए, इस वजह से ध्वनि प्रदूषण में तो कमी दर्ज की गई, लेकिन अनार, फुलझड़ियों सहित कम आवाज वाले पटाखे खूब जलाए गए, जिससे वायु प्रदूषण में कोई कमी नहीं आई और हवा में महीन धूल के कणों में करीब दोगुनी वृद्धि दर्ज की गई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के वैज्ञानिकों का कहना है कि वायु प्रदूषण में हुई वृद्धि के लिए पटाखों के अलावा हवा की धीमी गति, तापमान में गिरावट, सड़कों पर डीजल वाहनों की अधिकता आदि जिम्मेदार कारक रहे हैं। सीपीसीबी के सदस्य सचिव जे.एस. कम्योत्रा ने बताया कि गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष दिवाली पर ध्वनि प्रदूषण के लिए नौ स्थानों पर निगरानी की गई। जिनमें से मयूर विहार फेस-टू, कमला नगर और दिलशाद गार्डन में पटाखों का शोर कम रहा और लाजपत नगर, अर्जुन नगर, पीतमपुरा, अंसारी नगर, कनाट प्लेस व आइटीओ पर पिछले वर्ष जितना ही शोर दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि दिल्ली में लगातार प्रदूषण बढ़ रहा है। जिसका कारण वाहनों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी है। खासकर डीजल वाहनों में। वर्ष 2011 में दिवाली से ठीक पहले जहा हवा में सल्फरडाइ ऑक्साइड की मात्रा सामान्य दिनों में 4 से 13 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर (मापन की इकाई) थी, इस वर्ष दिवाली से ठीक पहले इसकी मात्रा 4 से 24 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर रही। ऐसे ही नाइट्रोजन 34 से 78 की बजाए 53 से 130 हो गई है। इतना ही नहीं, महीन धूल के कण 184 से 486 की बजाय बढ़कर 452 से 648 दर्ज किए गए। जिसका कारण मौसम आया बदलाव भी है।

error: Content is protected !!