शार्ट फिल्म “बेटी” धूमधाम से हुई रिलीज

मुंबई, सांताक्रूज के योगा दी इंस्टीट्यूट मे समाजसेवी एव उधोगपति डॉ अनिल मुरारका ने अपनी शार्ट फिल्म “बेटी “को रिलीज किया। इस मौके पर
योगा इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर श्रीमती डॉ हसा जी योगेंद्र, जैन साधक ब्रह्मचारी स्वामी देवेंद्र भाई जी, बॉलीवुड एक्टर सूरज थापर,कॉमेडियन सुनील पाल,सहित अन्य फिल्म स्टार मौजूद रहे।अपने ऐम्पल मिशन संस्था के जरिए बेटी पढाओ बेटी बचाओ के अभियान को बढावा देते हुए बेटी शार्ट फिल्म का निर्माण किया है। फिल्म मे “बेटी” द्वारा पिता के प्रति सम्मान दिखाया गया है। फिल्म मे संदेश दिया गया है कि बेटी को बेटो से कम नही समझना चाहिए। बेटी मा बाप के सम्मान के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती। इस मौके पर डॉ अनिल मोरारका ने बेटियो के महत्व के बारे मे अपने विचार व्यक्त करते कहा कि देश व समाज के उन्नति के बेटियो को पढा लिखा कर आगे बढाना बहेद जरूरी है। आज का समय बेटियो का है। बेटी हर क्षेत्र मे लडको से आगे है। जमीन से लेकर अंतरिक्ष तक बेटी अपनी क्षमता और प्रतिभा का परचम लहरा रही है। बेटियो की शिक्षा पर ध्यान देना जरूरी है। बेटी से ही परिवार, समाज बनता है। बेटी के पढने से सभ्य समाज का निर्माण होगा। सभ्य समाज से देश उन्नति के रास्ते पर आगे बढता है। खुद की बेटी न होने पर दुख व्यक्त करते हुए डा अनिल मुरारका ने कहा कि खुद बेटी ना होने का उन्हे अफसोस है। लेकिन वह समाज की सभी बेटियो को अपनी बेटी की तरह ही मानते है। उन्हे बेटियो से काफी लगाव है। बेटियो के प्रति लगाव के चलते ही उनहोने बेटी फिल्म का निर्माण किया है। वह चाहते है कि फिल्म से समाज मे बेटियो के प्रति ज्यादा से ज्यादा जागरूकता बढे। अगर उनकी फिल्म से समाज मे जागरूकता आती है तो यही उनके लिए सबसे बड़ा अवार्ड होगा। इस अवसर पर (जैन साधक ब्रहमचारी) स्वामी देवेंद्र भाई जी ने बेटियो के महत्व पर प्रकाश डाला। स्वामी जी ने कहा कि हमारी बेटी है दुर्गा की शक्ति, यही देश को बनाएगी महाशक्ति.
यह बहुत स्पष्ट है कि, एक लड़की हमेशा समाज के लिए आशीर्वाद रही है और इस संसार में जीवन की निरंतरता का कारण है। हम बहुत से त्योहारों पर विभिन्न देवियों की पूजा करते हैं जबकि, अपने घरों में रह रही महिलाओं के लिए थोड़ी सी भी दया महसूस नहीं करते। वास्तव में, लड़कियाँ समाज का आधार स्तम्भ होती हैं। एक छोटी बच्ची, एक बहुत अच्छी बेटी, बहन, पत्नी, माँ, और भविष्य में और भी अच्छे रिश्तों का आधार बन सकती है। यदि हम उसे जन्म लेने से पहले ही मार देंगे या जन्म लेने के बाद उसकी देखभाल नहीं करेंगे तब हम कैसे भविष्य में एक बेटी, बहन, पत्नी या माँ को प्राप्त कर सकेंगे। क्या हम में से किसी ने कभी सोचा है कि क्या होगा यदि महिला गर्भवती होने, बच्चे पैदा करने या मातृत्व की सभी जिम्मेदारियों को निभाने से इंकार कर दे। क्या आदमी इस तरह की सभी जिम्मेदारियों को अकेला पूरा करने में सक्षम है। यदि नहीं; तो लड़कियाँ क्यों मारी जाती हैं?,
पहले जमाने मे बेटी कम महत्व देते थे । लेकिन आज समय बदल चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढाओ के अभियान के द्वारा देश को जागरूक करने का काम किया है। उनके इस अभियान की जितनी भी तारीफ की जाऐ कम है। बेटी भगवान का तोहफा है। बेटी को बचाना व पढाना देश व समाज के हित मे है। अनिल मोरारका ने बेटी पर फिल्म बनाकर बहुत अच्छा काम किया है। बहुत अच्छी फिल्म बनी है। ऐसी फिल्मे से देश समाज मे जागृति पैदा होती है।इस मौके पर समाज के प्रबुद्ध ,फ़िल्म जगत के लोगो सहित दो सौ बच्चियां भी पहुँची सभी ने डॉ अनिल मुरारका के सामाजिक कार्यो की सराहना भी किया।

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