भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उपलक्ष्य में एलपीयू ने टाइम कैप्स्यूल तैयार किया

तीन नोबल पुरस्कार विजेताओं ने एलपीयू कैम्पस की जमीन के अंदर 100 वर्षों के लिए टाइम कैप्स्यूल सुरक्षित रख दिया
ऽ टाइम कैप्स्यूल में वर्तमान भारतीय तकनीक के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 100 अलग-अलग आइटम

ऽ टाइम कैप्स्यूल में दैनिक उपयोग के इलैक्ट्रॉनिक गजेट्स जैसे लैंडलाइन टेलीफोन, स्मार्ट फोन, वीसीआर, स्टीरियो प्लेयर, स्टॉप वॉच, कम्प्युटर पार्ट्स जैसे हार्ड डिस्क, माउस, मदरबोर्ड और वैज्ञानिक उपकरण जैसे रीयोस्टैट, रिफ्रैक्टरस्कोप और डबल माइक्रोस्कोप रखे गए

ऽ कैप्स्यूल 100 वर्षों तक जमीन के अंदर रहेगा। एक शताब्दि के बाद भावी पीढ़ियों को आज की तकनीक की झलक दिखाने का अभूतपूर्व प्रयास
फगवाड़ा, जनवरी, 04, 2019: तीन नोबल पुरस्कार विजेताओं ने आज एक टाइम कैप्स्यूल लवली प्रोफेशन युनिवर्सीटी की जमीन के अंदर सुरक्षित रख दिया। युनिवर्सीटी कैम्पस में जारी 106वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अवसर पर इस कैप्स्यूल के अंदर 100 आइटम रखे गए जो वर्तमान भारत की विविध तकनीक और देश की वैज्ञानिक शक्ति की मिसालें हैं।
द टाइम कैप्स्यूल में भारत में उपयोग के लिए उपलब्ध आधुनिक तकनीक की चीज़ों के साथ देश की वैज्ञानिक शक्ति की मिसालों – मंगलयान, ब्रह्ममोस मिसाइल और लड़ाकू जेट तेजस के रेप्लिका भी रखे गए हैं।
यह कैप्स्यूल लवली प्रोफेशनल युनिवर्सीटी ने 106वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस के उपलक्ष्य में तैयार किया है। यह अगले 100 वर्षों तक कैम्पस में जमीन के अंदर सुरक्षित रहेगा। कैप्स्यूल का मकसद आने वाली पीढ़ियों के लिए आज की तकनीक की झलक सहेज कर रखना है।
गौरतलब है कि जमीन के अंदर 10 फुट की गहराई में इस कैप्स्यूल को रखने का काम तीन जाने-माने नोबल पुरस्कार विजेताओं ने किया है जो पंजाब में लवली प्रोफेशनल युनिवर्सीटी द्वारा आयोजित 106वें भारतीय विज्ञान कांग्रेस में भाग लेने भारत आए हैं। ये हैं – हंगरी में जन्मे इजरायल के बायोकैमिस्ट अवराम हर्शेको, ब्रिटेन में जन्मे अमेरिकी भौतिक विज्ञानी एफ. डंकन एम. हाल्देन और जर्मन-अमेरिकी बायोकैमिस्ट थॉमस क्रिश्चियन सुडॉफ।
टाइम कैप्स्यूल में वर्तमान भारत में दैनिक उपयोग की तकनीकी चीज़ें जैसे लैंडलाइन टेलीफोन, स्मार्ट फोन, वजन मापने की मशीन, पानी का पम्प, स्टॉप वॉच, हेडफोन, हैण्डीकैम और पेन ड्राइव शामिल हैं। कैप्स्यूल में वैज्ञानिक उपकरण जैसे रीयोस्टैट, रिफ्रैक्टरस्कोप और डबल माइक्रोस्कोप भी रखे गए हैं। इनके अतिरिक्त जो अन्य प्रोडक्ट रखे जाएंगे उनमें शामिल हैं सोलर सेल, हार्ड डिस्क के साथ नवीनतम डॉक्युमेंट्री और मूवी।
एलपीयू के चांस्लर अशोक मित्तल ने कहा, ‘‘पहले कुछ बड़ा विकसित करने में दशकों लग जाते थे जबकि आज हर कुछ वर्षों में कई नई तकनीकी क्षमताएं विकसित हो जाती हैं। हम ने जो टाइम कैप्स्यूल विकसित किया है वह वर्तमान भारत की तकनीकी क्षमता दर्शाती है। मुझे विश्वास है कि 2119 की पीढ़ी के लिए इस कैप्स्यूल को खोद कर निकालना एक आश्चर्यजनक अनुभव होगा और भावी पीढ़ियों को इस पर गर्व होगा।’’
टाइम कैप्स्यूल तैयार करने में इलैक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल, फैशन, कृषि, डिज़ाइन, कम्प्यूटर आदि विभिन्न विभागों के 25 से अधिक विद्यार्थियों ने सक्रिय सहयोग दिया। कैप्स्यूल के अंदर रखने योग्य चीज़ों का चुनाव लवली प्रोफेशनल युनिवर्सीटी के विद्यार्थियों के मतदान के आधार पर किया गया।
एलपीयू का परिचय
लवली प्रोफेशनल युनिवर्सीटी (एलपीयू) की स्थापना 2005 में की गई। यह जलंधर, पंजाब आधारित प्राइवेट युनिवर्सीटी है। जलंधर के बाहरी हिस्से में इसका 600 एकड़ से बड़ा कैम्पस है। इसमें कई प्रकार के कोर्स हैं जो विभिन्न विषयों जैसे कि इंजीनियरिंग, होटल मैनेजमेंट एवं टुरिज्म, आर्किटेक्चर एवं डिज़ाइन, फार्मास्युटिकल विज्ञान, कृषि, फैशन डिज़ाइन, जर्नलिज़्म, फिल्म एवं क्रिएटिव आर्ट, कानून, फीजियोथिरैपी और पैरामेडिकल विज्ञान के साथ-साथ कलाओं एवं भाषाओं से जुड़े हैं।

वर्तमान में एलपीयू में 25,000 से अधिक विद्यार्थी नामांकित हैं। इसमें फुल-टाइम और पार्ट-टाइम कोर्स हैं। एलपीयू में 50 से अधिक देशों के विद्यार्थी पढ़ते हैं और विविधता को बढ़ावा देते हैं। इसके विशाल कैम्पस में अपना शॉपिंग मॉल, विद्यार्थियों के लिए मैक लैब (ऐपल ऐप डेवलप करने और लागू करने के लिए), एवियेशन लैब, स्केटिंग रिंक, इन-हाउस बोलिंग कॉम्प्लेक्स, कन्वीनियंस स्टोर और कई फूड कियोस्क हैं।

एलपीयू का सपना एक उच्च कोटि का शिक्षा संस्थान बनना है जो उद्योग जगत और समाज में उल्लेखनीय योगदान देते हुए दुनिया में नाम करे। इस सपने को पूरा करने के लिए एलपीयू शिक्षण, ज्ञान अर्जन, शोध, अंतर्राष्ट्रीयकरण, उद्यमशीलता और नेतृत्व के माध्यम से उत्कृष्टता का प्रदर्शन करता है। एलपीयू का लक्ष्य उद्योग और शिक्षा जगत के बीच परस्पर सहयोग का संबंध कायम करना है और अपने ग्रैजुएट को आजीवन सीखने के लिए उत्साहित करना है। इस उद्देश्य से विश्लेषण एवं नेतृत्व कैशल पर जोर दिया जाता है।
अधिक जानकारी के लिए देखें https://www.lpu.in/

भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ का परिचय
भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ (आईएससीए) भारत का प्रमुख वैज्ञानिक संगठन है। इसका मुख्यालय कोलकाता, पश्चिम बंगाल में है। संघ ने कोलकाता से ही 1914 में कार्यारंभ किया और इसके गठन के पीछे दो ब्रिटिश रसायन वैज्ञानिकों – प्रो. जे एल सामइनसेन और प्रो. पी एस मैकमोहन की दूरदृष्टि और प्रयास का बड़ा योगदान रहा है। दोनों चाहते थे कि भारत में भी ब्रिटिश एसोसिएशन फॉर द एडवांसमेंट ऑफ साइंस की तर्ज पर शोधकर्मियों का सालाना समारोह हो। केवल 105 सदस्यों से आरंभ आईएससीए की सदस्यता में आज 30,000 से अधिक वैज्ञानिक हैं।
अधिक जानकारी के लिए:http://www.sciencecongress.nic.in/

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